अलग अलग अनुभूतियाँ
पिता के चरणो को छूते ,मिलता आशीर्वाद है ,
तरक्की करते रहें और सदा आगे बढें हम
माँ की गोदी में रखो सर ,मिलता है मन को सुकून ,
शांति मिलती ,भूल जाते,दुनिया के रंज औ' सितम
और जब आते है अपनी प्रिया के आगोश मे,
होश गुम होते है सबके ,हो जाते मदहोश हम
लेते है गोदी में जब हम ,अपनी ही औलाद को,
ममता और वात्सल्य रस में ,भीग जाता सबका मन
बहुत दिन के बाद जब मिलते पुराने दोस्त है,
अलग ही आनंद होता ,लेते है जब झप्पियां
हर मिलन में हुआ करती भावनाएं है अलग ,
इसलिए हर मिलन में होती अलग अनुभूतियाँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पिता के चरणो को छूते ,मिलता आशीर्वाद है ,
तरक्की करते रहें और सदा आगे बढें हम
माँ की गोदी में रखो सर ,मिलता है मन को सुकून ,
शांति मिलती ,भूल जाते,दुनिया के रंज औ' सितम
और जब आते है अपनी प्रिया के आगोश मे,
होश गुम होते है सबके ,हो जाते मदहोश हम
लेते है गोदी में जब हम ,अपनी ही औलाद को,
ममता और वात्सल्य रस में ,भीग जाता सबका मन
बहुत दिन के बाद जब मिलते पुराने दोस्त है,
अलग ही आनंद होता ,लेते है जब झप्पियां
हर मिलन में हुआ करती भावनाएं है अलग ,
इसलिए हर मिलन में होती अलग अनुभूतियाँ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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