एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 6 सितंबर 2014

उम्र के त्योंहार में

              उम्र के त्योंहार में

क्यों परेशां हो रहे हो  ,तुम यूं  ही  बेकार में
आएगा जब समापन इस उम्र के त्योंहार में
यज्ञ की आहुतियों से ,स्वाह तुम हो जाओगे,
राख यमुना में बहेगी,हड्डियां  हरद्वार  में
तुम उठे,दो चार दिन में 'उठाला 'हो जाएगा ,
तुम्हारी तस्वीर भी,छप सकती है अखबार में
सांस राहत की मिलेगी ,तुम्हारी संतान को ,
तुम्हारी दौलत बंटेगी ,जब सभी परिवार में
अब तो निपटा देते बरसी ,लोग बस एक माह में,
श्राद्ध में  याद आ सकोगे,साल में, एक बार  में
जब तलक संतान है ,बन कर के उनकी वल्दियत,
उनकी तुम पहचान बन कर,रहोगे   संसार   में
सोच कर यह , घर का इंटीरियर ना  जाए  बिगड़ ,
तुम्हारी  तस्वीर भी ना टंगेगी ,दीवार  में
जब तलक है दम में दम और बसे तन में प्राण है,
तब तलक ही तुम्हारा ,अस्तित्व है संसार में

 मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-