एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

टेढ़ी वो अच्छी लगे

           टेढ़ी वो अच्छी  लगे

टेढ़ीमेढ़ी जिंदगी की ,टेढ़ीमेढ़ी राह है,
         टेढ़ेमेढ़े लोग है पर जिंदगी  अच्छी लगे
गोल लड्डू और होती बर्फियां चौकोर है,
        मगर हमको टेढ़ीमेढ़ी जलेबी अच्छी लगे
टेढ़ीमेढ़ी वक्र रेखा से सजा उनका फिगर ,
       उनकी नज़रें टेढ़ी भी हो ,तो हमें अच्छी लगे
बॉस टेढ़े,खुश उन्हें रखना भी टेढ़ी खीर है,
       सास टेढ़ी,उनकी टेढ़ी बेटी भी अच्छी लगे

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-