एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

महाराष्ट्र के महत्वकांक्षी

       महाराष्ट्र के महत्वकांक्षी

महत्वकांक्षाओं को ,
अगर दबाया  नहीं जाए  थोड़ा 
तो बन  जाती है,
 जीवन की राह का रोड़ा
रेस में दौड़ना चाह रहा था,
तांगे वाले का घोडा
और इसी चक्कर में ,
उसने ,उससे  गठबंधन तोडा
अक्सर  इस तरह के ,
कई  वाकये नज़र आते है
लोग न इधर के रहते है,
न उधर के हो पाते है
पूरी  पाने की चाह  में,
अपनी आधी  भी  गमाते है
चौबेजी ,छब्बे बनने के चक्कर में ,
दुबे बन कर रह जाते है
घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-