एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 6 सितंबर 2014

बरसात में

          बरसात में
बरसती बरसात में ,गर देख तुमको तर हुआ ,
हुस्न बिखरा सामने हो ,और रीझें  हम नहीं
देख कर भीगे वसन से झांकता सुन्दर बदन ,
संग तुम्हारे ,प्यार रंग में,अगर भीजे हम नहीं
हुस्न की ,इस कदर बेकदरी ,और वो भी हम करें,
बहता दरिया सामने हो,ना लगाएं डुबकियां,
'घोटू'लानत है हमारे ,आशिकी मिज़ाज़ पर ,
समझ लेना ,चचा ग़ालिब के भतीजे हम नहीं
घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-