एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 9 नवंबर 2013

टायर ,हवा और हम

       टायर ,हवा और हम

जब तलक थे नौकरी में ,शान से चलते थे हम ,
                       भरी हो जिसमे हवा ,हम  ऐसे टायर की तरह
घिसा टायर और रिटायर हुए तो ऐसा लगा ,
                          हवा सारी निकाली ,कोई ने पंक्चर की तरह
जोड़ कर पंक्चर को फिर से भरो तुम ताज़ी हवा ,
                           आपको महसूस होगी ,एक नयी सी ताज़गी
रिटायर टायर में रीट्रेडिंग करा कर देखिये ,
                            नया लुक आ जाएगा और जायेगी बढ़ जिंदगी
टायरों में जो हवा का ठीक हो प्रेशर ,अगर,
                              तभी गाडी ठीक चलती ,वरना जाती डगमगा
आदमी की  जिंदगी  में ,बड़ी आवश्यक हवा ,
                                  हवा से ही सांस है और जिंदगी का सिलसिला
वायु के विकार से ,आती कई है व्याधियां ,
                                   इसलिए यह जरूरी है,नियंत्रित  वायु  रहे
करें प्राणायाम निश  दिन ,घूम लें ताज़ी हवा ,
                                     स्वस्थ तब ही रहे तन मन,दीर्घ ये आयु रहे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-