जवानी सलामत रहे
नाती ,पोते पोतियों की शादियां होने लगी ,
उसपे भी हम कहते हैं कि सलामत है जवानी
इसी जिंदादिली ने है अभी तक ज़िंदा रखा ,
वरना अब तक खत्म हो जाती हमारी कहानी
बुढ़ापा तन का नहीं,अहसास मन का अधिक है ,
जंग हमको बुढ़ापे से ,लड़ते रहना चाहिये
सोचता है जिस तरह ,इंसान बनता उस तरह,
हमेशा खुद को जवां ,हमको समझना चाहिये
घोटू
नाती ,पोते पोतियों की शादियां होने लगी ,
उसपे भी हम कहते हैं कि सलामत है जवानी
इसी जिंदादिली ने है अभी तक ज़िंदा रखा ,
वरना अब तक खत्म हो जाती हमारी कहानी
बुढ़ापा तन का नहीं,अहसास मन का अधिक है ,
जंग हमको बुढ़ापे से ,लड़ते रहना चाहिये
सोचता है जिस तरह ,इंसान बनता उस तरह,
हमेशा खुद को जवां ,हमको समझना चाहिये
घोटू
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