एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

विवाह -क्षणिकाएं

          विवाह -क्षणिकाएं
                      १
      चूड़ियाँ
उनके प्यार का स्क्रू ,
एक एक चूड़ी ,चढ़,
दिल पर चढ़ गया ,
एक दम टाइट हो है
उनके हाथों में ,
नौ नौ चूड़ियाँ जो है
                 २
      अंगूठी
'रिंग सेरेमनी '
ये प्रथा है अनूठी
शादी के रिश्ते को,
'ओ'रिंग 'की तरह
'सील' करके रखती है,
सगाई की अंगूठी
                    ३
    वरमाला
वर ने वधू  को,वरमाला पहना दी
क्योकि फूलों की थी ,
वधू  ने ,वैसी ही ,दूसरी लौटा दी
अबकी बार वर ने,
वधु के गले में ,
सोने का मंगलसूत्र डाल दिया 
सोने को देख वधू  ने
यह प्रक्रिया नहीं दुहराई ,
इस तरह सोने ने ,
दोनों को एक सूत्र से बाँध दिया
              ४
        सोचो ,समझो और करो
एक विवाह के अवसर पर
एक बुजुर्ग बाँट रहे थे ,एक पुस्तक ,मित्रवरों!
'सोचो,समझोऔर करो,
                 ५
         खरबूजा
प्यार किया उसने
या प्यार किया तुमने ,
एक समझदार ने ये बूझा
कटा तो खरबूजा
                 ६
         अंदाज
समझदार लड़के
पहले लड़की का मुंह नहीं ,
पैर देखते है झुक के
लोग समझते है शरमीले है,
पर उनका अंदाज है जुदा
पैरों की  उँगलियों में ,बिछुवा को देख कर ,
पहले ही जान लेते है ,
कंवारी है या शादीशुदा
                 ७
             मांग
एक समझदार,
 कंवारी लड़की ने
रचाया ये  स्वांग
भरली अपनी मांग
मन में ये विचार के
शादीशुदा पर लड़के ,
लाइन नहीं मारते

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-