चुनाव-तीन क्षणिकाएं
१
चुनाव
चूना या नाव
जिसे' नाव' याने 'बोट' मिलते है
उसका बेड़ा हो पार जाता है
और उसे 'चूना' लगता है ,
जो बाजी हार जाता है
२
चुनाव ,एक शादी है
जिसमे दुल्हन एक ,और कई प्रत्याशी है
और दुल्हन किसको बनाएगी वर
इसका निर्णय करते है 'वोटर'
जो सारे होते बाराती है
३
जब भी कोई दल ,सत्ता में आता है
उस प्रदेश या देश के वृक्ष पर ,
अमर बेल की तरह छा जाता है
अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए ,
वृक्ष को सुखाता है
और खुद हराभरा होकर ,फैलता जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
चुनाव
चूना या नाव
जिसे' नाव' याने 'बोट' मिलते है
उसका बेड़ा हो पार जाता है
और उसे 'चूना' लगता है ,
जो बाजी हार जाता है
२
चुनाव ,एक शादी है
जिसमे दुल्हन एक ,और कई प्रत्याशी है
और दुल्हन किसको बनाएगी वर
इसका निर्णय करते है 'वोटर'
जो सारे होते बाराती है
३
जब भी कोई दल ,सत्ता में आता है
उस प्रदेश या देश के वृक्ष पर ,
अमर बेल की तरह छा जाता है
अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए ,
वृक्ष को सुखाता है
और खुद हराभरा होकर ,फैलता जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।