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रविवार, 13 जनवरी 2013

वक़्त वक़्त की बात

  वक़्त वक़्त की बात

एक जवां मच्छर ने,कहा एक बूढ़े से,
                              आपके जमाने में ,बड़ी सेफ लाइफ थी 
ना 'हिट 'ना' डी .डी .टी .'न ही 'आल आउट 'था,
                              और ना धुवां देती ,कछुवे की कोइल थी
एक आह ठंडी भर,बोला बूढा मच्छर,
                               वो तो सब ठीक मगर ,मौज तुम उड़ाते हो
आज के जमाने में ,है इतना खुल्लापन ,
                               जहाँ चाहो मस्ती से ,चुम्बन ले पाते हो
हमारे जमाने में,एक बड़ी मुश्किल थी,
                               औरतों का सारा तन,रहता था ,ढका ,ढका
तरस तरस जाते थे ,मुश्किल से कभी,कहीं,
                                 चूमने का मौका हम,पाते थे यदा कदा
समुन्दर के तट पर या फिर स्विमिंग पूलों पर ,             
                                  खतरा भी कम है और रौनक भी ज्यादा है
तुम तो हो खुश किस्मत ,इस युग में जन्मे हो ,
                                   तुम्हे मौज मस्ती के,मौके भी ज्यादा  है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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