वर्ना .................?
नए वर्ष की नयी सुबह,
दिल्ली में सूरज नहीं निकला
शायद वह ,दिल्ली में ,
देश की एक बेटी के साथ ,
कुछ दरिंदों द्वारा किये गए ,
बलात्कार से लज्जित था
या शायद,
देश के नेताओं की सुस्त प्रतिक्रिया ,
और व्यवहार से लज्जित था
या शायद ,
दामिनी की आत्मा ने ऊपर पहुँच कर,
उससे कुछ प्रश्न किये होंगे,
और उससे कुछ जबाब देते न बना होगा ,
तो उसने कोहरे की चादर में,
अपना मुंह छुपा लिया होगा
क्योंकि अगर सूरज दिल्ली का नेता होता ,
तो बयान देता,
ये घटना उसके अस्त होने के बाद हुई,
इसलिए इसकी जिम्मेदारी चाँद पर है
उससे जबाब माँगा जाय
और यदि उससे यह पूछा जाता कि ,
क्या दिन में ऐसी घटनाएं नहीं होती ,
तो शायद वो स्पष्टीकरण देता ,
कि जब बादल उसे ढक लेते है,
तब ऐसा हो जाता होगा
सब अपनी जिम्मेदारी से,
कैसे कैसे बहाने बना ,
बचने की कोशिश करते रहते है
और दामिनियोन की अस्मत लुटती रहती है
पर अब जनता का आक्रोश जाग उठा है ,
बहाने बनाना छोड़ दो ,
थोडा सा डरो ,
और कुछ करो
वरना .............?
मदन मोहन बहेती'घोटू'
कुछ लोग-59
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कुछ लोगमन में द्वेषजुबान पर अपशब्दऔर रूप मेंमासूमियत लिएकराते हैं एहसासअपनी
कड़वी तासीर का।ऐसे लोगों की चाहत होती हैकि वो आगे हो सकते हैंअपने वर्तमान
सेलेक...
40 मिनट पहले
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
जवाब देंहटाएंआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।