ये दूरियां
मै बिस्तर के इस कोने में ,
तुम सोई उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
ना तो कुछ श्रृंगार किया है ,
ना ही तन पर आभूषण
ना ही स्वर्ण खचित कपडे है ,
ना ही है हीरक कंगन
सीधे सादे शयन वसन में ,
रूप तुम्हारा अलसाया
कभी चूड़ियाँ,कभी पायलें,
बस खनका करती खन खन
तेरी साँसों की सरगम में,
जीवन का संगीत भरा,
तेरे तन की गंध बहुत है ,
मेरे पागल होने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोई उस कोने में
तुम उस करवट,मै इस करवट,
दूर दूर हम सोये है
देखें कौन पहल करता है ,
इस विचार में खोये है
दोनों का मन आकुल,व्याकुल,
गुजर न जाए रात यूं ही ,
टूट न जाए ,मधुर मिलन के,
सपने ह्रदय संजोये है
हठधर्मी को छोड़ें,आओ,
एक करवट तुम,एक मै लूं,
मज़ा आएगा,एक दूजे की ,
बाहुपाश बंध ,सोने में
मै बिस्तर के इस कोने में,
तुम सोयी उस कोने में
कैसे हमको नींद आएगी ,
दूर दूर यूं सोने में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कृष्ण की याद
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कृष्ण की याद जैसे कोई फूल खिला हो अमराई में जैसे कोई गीत सुना हो तनहाई
में जैसे धरती की सोंधी सी महक उठी हो जैसे कोई वनीय बेला गमक रही हो या फिर
कोई कोकिल ...
1 घंटे पहले
बहुत अच्छे घोटू जी आपने तो एक दम घोट घोट के लिख दिया कविता में | आनंद आ गया पढ़कर | एक दम सत्य कहा आपने "देखें कौन पहल करता है, इस विचार में खोये हैं" | अक्सर इस विचार के करने में गाडी छूट जाती है और फसलें बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अनावश्यक रूप से एवं प्रसंग हीन विद्वता के ज्ञापनार्थ वृहत
जवाब देंहटाएंशब्दों का प्रयोग जिसमें भावाभिव्यक्ति की न्यूनता हो,
शब्दाडंबर कहलाता है.....
" समझदार को इशारा ही काफी "