सूरज,चाँद और तारे
सूरज
सूरज सूर है बड़ा,
जहाँ जहाँ जाता है
अँधेरे को हराता है
और जीती सीमा पर,
उजाला फैलाता है
उन्ही उन्ही जगहों पर,
दिन होता जाता है
चाँद
चंद्रमा की तो बड़ी,
निराली कहानी है
दुनिया में एसा ना,
कोई भी दानी है
सूरज से रौशनी,
वो उधार लेता है
और प्रकाश दुनिया में,
वो बाँट देता है
जब उधार कम मिलता,
तो वो घट जाता है
जब उधार ज्यादा मिलता,
तो वो बढ़ जाता है
पूनम को खुशहाल है
अमावास को कंगाल है
तारे
नन्हे नन्हे से तारे
दिन भर खेलने के बाद,थके हारे
बेचारे
आसमान में जाकर ,नींद के मारे
कभी पलक बंद करते,
कभी जाग जाते है
और हमको लगता है,
कि वो टिमटिमाते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अच्छी कमाई वाली महिला गुजारा भत्ते की हकदार नहीं-इलाहाबाद हाईकोर्ट
-
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि
*"अगर कोई पत्नी अच्छी नौकरी करती है और अपना गुज़ारा करने के लिए काफ़ी सैलरी
कमाती है तो वह CrPC की धारा 125 के...
1 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।