खट्टा -मीठा
पत्नी जी बोली मुस्का कर
तुम तो कवि हो मेरे डीयर
अपने मन की परते खोलो
मुझसे कुछ ऐसा तुम बोलो
जिससे मन खुश भी हो जाये
पति बोला क्या बोलूँ प्रियतम
तुम ही तो हो मेरा जीवन
किन्तु मुझे लगता है अक्सर
लानत है ऐसे जीवन पर
घोटू
तटस्थता अस्तु
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तटस्थता क्या है ?
कहीं बुद्धिमानी
कहीं है स्वार्थ
कहीं चालाकी
कहीं परमार्थ
कहीं निष्क्रिय
कहीं उदासीन
कहीं कुटिल
कहीं पदासीन
कहीं समझौता
कही...
1 घंटे पहले
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