संक्रांति पर
आया सूर्य मकर में ,आये नहीं तुम मगर
पर्व उत्तरायण का आया ,पर दिया न उत्तर
तिल तिल कर दिल जला,खिचड़ी बाल हो गये
और गज़क जैसे हम खस्ता हाल हो गये
अगन लोहड़ी की है तपा रही ,इस तन को
अब आ जाओ ,तड़फ रहा मन,मधुर मिलन को
मकर संक्रांति की शुभ कामनाये
घोटू
1416-दीक्षांत समारोह : आडंबर का अंत
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*विजय जोशी*
*पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल *
* शिक्षा एक तपस्या है। साध्य है, साधन नहीं। इसे पूरे मन से समर्पण के
साथ जीने का मानस ही मस्तिष्क क...
8 घंटे पहले
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