परेशानी-गर्मी की
गर्मियों में इस कदर ,मुश्किल है जीना हो गया
हवायें लू बन गयी, पानी पसीना हो गया
और डर ने पसीने के,हाल है एसा किया
पास भी अब पटखने में,बिदकती है बीबियाँ
बड़ी मनमौजी हुई है, आती जाती रात दिन
अंखमिचौली खेलती ,बिजली सताती रात दिन
आजकल उतनी हंसीं ,लगती नहीं है हसीना
चेहरे का मेकअप बिगाड़े,गाल पर बह पसीना
कम से कम कपडे बदन पर,जिस्म खुल दिखने लगे
उनको भी ये सुहाता है,हमको भी अच्छा लगे
गरमियों के दरमियाँ बस फलों का आराम है
लीचियां है,जामुने है,चूंसने को आम है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
792. सफ़र जारी है
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सफ़र जारी है
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बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छोड़ दिया
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
चलती रही, फिरती रही
न कोई राह दिखाने वाला
न कोई साथ निभाने वाला
राह बनाती ...
22 मिनट पहले
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