बूढ़े माँ बाप और बच्चे
धरा पर भगवान प्रकटे,कृष्ण के अवतार में
भुलाया माँ बाप का सब प्यार आ संसार में
यशोदा मैया और बाबा नन्द का दिल तोड़ कर
भुला सब कुछ,गये मथुरा,कृष्ण गोकुल छोड़ कर
राज के और रानियों के,चक्करों में यूं फसे
छोड़ कर ,माँ बाप बूढ़े, द्वारिका में जा बसे
अपने पालक,जन्मदाता ,को भुला एसा दिया
पलट कर मथुरा न आये,रुख न गोकुल का किया
जब किया भगवान ने, ये चलन है संसार का
मोल किसने चुकाया,माँ बाप के उपकार का
खटकने लगते है वो ,आँखों में बन कर किरकिरी
बच्चों को मिल जाती है जब,बीबी,अच्छी नौकरी
छोड़ते माँ बाप बूढों को तडफने वास्ते
भूल सबको, जीतें है वो सिर्फ अपने वास्ते
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1463- सन्नाटे के ख़तों की आवाज़
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*भीकम सिंह*
लम्हों का सफर, नवधा, झाँकती खिड़की के साथ प्रवासी मन (हाइकु संग्रह) और
मरजीना
*(क्षणिका संग्रह)* को जोड़कर डॉ. जेन्नी शबनम का यह छठा काव्य- ...
3 घंटे पहले
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २६/६ १२ को राजेश कुमारी द्वारा
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर की जायेगी
बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंdhanywaad
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