इतना ही काफी है
बच्चे ,अब बढे हो गये है
अपने पैरों पर खड़े हो गये है
ख़ुशी है ,कुछ बन गये है
गर्व से पर तन गये है
कभी कभी जब मिलते
लोकलाज या दिल से
चरण छुवा करते है
कमर झुका लेते है
ये भी क्या कुछ कम है
खुश हो जाते हम है
नम्रता कुछ बाकी है
इतना ही काफी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1462
-
रणभेरी
*डॉ. सुरंगमा यादव *
पल में क्या से क्या हो गया, समझ नहीं ये कुछ आया
खुशी रुदन में बदल गई थी, खूनी मंजर था छाया।
अभी सजा सिंदूर माँग में, ...
1 दिन पहले
सटीक पंक्तियाँ - इतना ही काफी है समझाने को, मन को.
जवाब देंहटाएं