बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड
बॉयफ्रेंड जब बन जाता पति
गर्लफ्रेंड बन जाती श्रीमती
फंस कर चक्कर में गृहस्थी के
सब रोमांस फुर्र हो जाता
इश्क मोहब्बत इलू वाला
सपना चूर-चूर हो जाता
ना तो होता पहले जैसा
मिलना जुलना गिफ्टें लाना
घर में रोज पकाओ खाना
बंद हुआ होटल में जाना
रोज-रोज की तू तू मैं मैं
से अक्सर ही बात बिगड़ती
बाय फ्रेंड जब बन जाता पति
गर्लफ्रेंड जब बनती पत्नी
एक पराई बनती अपनी
सजा धजा सा मेकअप वाला
रूप नज़र अब ना आता है
ना रहते हो नाज़ और नखरे
असली चेहरा दिख जाता है
मिलन औपचारिक ना रहता है
उसमे अपनापन आ जाता
व्यस्त काम में रहती दिनभर
फूलों सा चेहरा मुरझाता
पर आहार प्यार का पाकर
बदन छरहरा बनता हथनी
गर्लफ्रेंड जब बनती पत्नी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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