बुढापा कैसे काटें
बुढ़ापा सबको ही आता, किसी का जोर ना चलता
उम्र का यह दौर ऐसा सभी के मन को है खलता
बुढ़ापे की जटिलता में किस तरह लाएं सरलता
जिंदगी के जंग में कैसे मिले तुमको सफलता
चंद बातें बताता हूं ,याद तुम रखना हमेशा
पहली यह के किसी से भी रखो ना कोई अपेक्षा
क्योंकि अक्सर अपेक्षाएं पूर्ण होती कदाचित है
और इस कारण तुम्हारा हृदय हो जाता व्यथित है
दूसरा यह की स्वयं की बचत खुद के नाम रखना
किसी पर आश्रित न होना, सदा स्वाभिमान रखना
अपनी सारी जमा पूंजी खर्च खुद पर करो जी भर
हाथ देने को उठे ,ना मांगने का आए अवसर
जिंदगी भर बहुत मेहनत करी तुमने धन कमाया
वह भला किस काम का जो काम तुम्हारे ही न आया
तीसरा, चुप रहो ,घर के काम हर में मत दखल दो
राय दो जब कोई पूछे ,बिना मांगे मत अकल दो
क्योंकि यह पीढ़ी नई है सोचने का ढंग नया है
वक्त पहले सा रहा ना, बदलअब सब कुछ गया है
स्वास्थ्य अच्छा रहेगा यदि खाओ कम और खाओ गम तुम
हो कोई झगड़ा कलह तो हमेशा ही जाओ नम तुम
इस तरह जो रहोगे तो तुम्हारा सम्मान होगा
बुढ़ापे में जिंदगी जीना बड़ा आसान होगा
खाओ पियो मन मुताबिक और जियो मन मुताबिक
मज़ा वृद्धावस्था का , जी भर उठाओ, मन मुताबिक
पत्नी को दो मान,जीवन की वही है सच्ची साथी
जीवन के अंतिम समय तक साथ तुम्हारा निभाती
अपने सब सुख दुख हमेशा संग उसके मिलकर बांटो
जिओ चिंता मुक्त जीवन ,बुढ़ापा इस तरह काटो
मदन मोहन बाहेती घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।