|
पृष्ठ
एक सन्देश-
pradip_kumar110@yahoo.com
इस ब्लॉग से जुड़े
मंगलवार, 18 जून 2024
Notice: Subscription Renewal and Payment Due
शनिवार, 15 जून 2024
hiphoprap.rf.gd
Vous recevez ce message, car vous êtes abonné au groupe Google Groupes "Fun funn".
Pour vous désabonner de ce groupe et ne plus recevoir d'e-mails le concernant, envoyez un e-mail à l'adresse fun-funn+unsubscribe@googlegroups.com.
Cette discussion peut être lue sur le Web à l'adresse https://groups.google.com/d/msgid/fun-funn/CAHKy_HCqjn17NFpxjAxu8N%2BR3ZN4N15iumQFT2ROJu2zRzk%3DsQ%40mail.gmail.com.
बुधवार, 12 जून 2024
शबरी के राम
बनवासी है रूप ,माथ पर तिलक लगाए हैं शबरी मैया की कुटिया में राम जी आए हैं
बोलो राम राम राम सीता राम राम
शबरी खुशी से हुई बावरी मन में उल्लास प्रभु दर्शन की जन्म जन्म की पूरी हो गई आस
बड़े प्रेम से पत्तल आसन पर प्रभु को बैठाया
गदगद होकर रामचरण में अपना शीश
नमाया
अश्रु जल से पांव पखारे पुष्प चढ़ाए हैं शबरी मैया की कुटिया में राम जी आए हैं
बोलो राम राम राम सीता राम राम
बरसों से करती आई थी राम नाम की टेर प्रभु प्रसाद को लाया करती ताजेताजे बेर इतनी हुई भाव विव्हल वो राम प्रभु को देख
चख कर मीठे बेर प्रभु को, बाकी देती फेंक
जूंठे बेर किए शबरी के, राम ने खाए हैं शबरी मैया की कुटिया में राम जी आए है
बोलो राम राम राम सीता राम राम राम
मदन मोहन बाहेती घोटू
झगड़ने का बहाना
बहुत दिन हुए ,जंग ना छिड़ा
हम मे तू तू मैं मैं का
आओ चले ढूंढते हैं
हम कोई बहाना लड़ने का
मैं कुछ बोलूं,, तुम झट मानो
तुम कुछ बोलो मैं मानू
सदा मिलाते हो हां में हां
किस पर भृकुटी मैं तानू
डांट लगाओ मेहरी को तो
काम छोड़ बैठेगी घर
अपने अंदर दबा हुआ सब
रौब निकालूं मैं किसी पर
हंसकर मिले पड़ोसन,
ना दे मौका बात बिगड़ने का
आओ चलो ढूंढते हैं हम
कोई बहाना लड़ने का
जो भी तुम्हें पका कर देती
खाते हो तारीफ कर कर
तेज नमक या ज्यादा मिर्ची
कभी ना आई तुम्हें नजर
मैं जैसा भी जो भी पहनू
तुमको सभी सुहाता है
ढलता यौवन चढ़ा बुढ़ापा
तुमको ना दिखलाता है
गलती से झट कहते सॉरी
दोष न हम पर मढ़ने का
आओ ढूंढे कोई बहाना
हम आपस में लड़ने का
कितने बरस हुए शादी को
याद तुम्हें ना आई क्या
मेरी मैरिज एनिवर्सरी
तुमने कभी मनाई क्या
किया स्वयं की वर्षगांठ पर
गोवा या कश्मीर भ्रमण
लेकिन मेरे विवाह दिवस पर
किया न कोई आयोजन
अबकी बार बनेगा उत्सव
मेरा डोली चढ़ने का
आओ ढूंढते कोई बहाना
हम आपस में लड़ने का
मदन मोहन बाहेती घोटू
Last Reminder: Prevent Account Hold
|
मेहमान
घर में है मेहमान आ रहे
बहुत खुशी है आल्हादित मन
बोझ काम का बढ़ जाएगा
पत्नी को हो रहा टेंशन
कैसे काम सभालूंगी सब
यही सोच कर घबराती है
उससे ज्यादा काम ना होता
जल्दी से वह थक जाती है
बात-बात में होती नर्वस
हाथ पांव में होता कंपन
बढ़ती उम्र असर दिखलाती
पहले जैसा रहा न दम खम
भाग भाग कर दौड़-दौड़ कर
ख्याल रखा करती थी सबका
पहले जैसी मेहनत करना
रहा नहीं अब उसके बस का
मैं बोला यह सत्य जानलो
तुम्हें बुढ़ापा घेर रहा है
दूर हो रही चुस्ती फुर्ती
अब यौवन मुख फेर रहा है
आंखों से भी कम दिखता है
थोड़ा ऊंची भी सुनती हो
लाख तुम्हें समझाता हूं मैं
लेकिन मेरी कब सुनती हो
अब हम तुम दोनों बूढ़े हैं
तुम थोड़ी कम में कुछ ज्यादा
ज्यादा दिन तक टिक पाएंगे
जीवन अगर जिएंगे सदा
पहले जैसा भ्रमण यात्रा
करने के हालात नहीं है
खाना पीना खातिरदारी
करना बस की बात नहीं है
पहले जैसे नहीं रहे हम
यही सत्य है और हकीकत
काम करो केवल उतना ही
जितनी तुम में हो वह हिम्मत
कोई बुरा नहीं मानेगा
मालूम हालत पस्त तुम्हारी
खुशी खुशी त्यौहार मनाएगी
मिलकर फैमिली सारी
मदन मोहन बाहेती घोटू
तेरी मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
क्या होगा जब हम दोनों में
कोई एक न होगा जिंदा
तू भी बूढ़ी ,मैं भी बूढ़ा
एक दूजे को रखें संभाले
उसे पड़ाव पर है जीवन के,
पता नहीं कब राम बुला ले
किस दिन पिंजरा तोड़ उड़ेगा
जाने किसका प्राण परिंदा
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
आ सकती है मौत कभी भी
कोई भी दिन ,कोई भी क्षण
एकाकी जीवन जीने को
अपने को तैयार रखें हम
दृढ़ता नहीं दिखाएंगे तो ,
जीवन होगा चिंदा चिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
यह जीवन का कटु सत्य है ,
एक दिन मौत सभी को आनी
लेकिन कौन जाएगा किस दिन,
यह तिथि नहीं किसी ने जानी
पता न कौन धरा पर होगा
होगा कौन स्वर्ग बासिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती मेरी चिंता
करो विवेचन उस दिन का जब
ऐसा कुछ मौका आएगा
संबल कौन प्रदान करेगा ,
कौन तुम्हारे काम आएगा
सच्चा साथ निभाने वाला
होगा कौन खुद का बंदा
मुझको रहती तेरी चिंता
तुझको रहती मेरी चिंता
ऐसे दुख के क्षण जब आए
धीरज रखें टूट न जाए
आवश्यक है इसीलिए हम
अपने को मजबूत बनाएं
ऐसा ना हो कमजोरी पर
होना पड़े हमारे शर्मिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
पता न फिर कोई ना पूछे
अब से सबसे रखें बनाकर
आंखों में आंसू ना आए
टूट न जाए हम घबराकर
रखना है दृढ़ हमको खुद को
जब तक रहना जीवन जिंदा
तुझको रहती मेरी चिंता
मुझको रहती तेरी चिंता
मदन मोहन बाहेती घोटू
सोमवार, 10 जून 2024
जय जय जय बजरंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
अतुलित बल के धाम प्रभु तुम,
सिया राम के संगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
बालपने में समझ मधुर फल
सूर्य देव को गए तुम निगल
धरती पर अंधियारा छाया
उगला सूरज ,त्रास मिटाया
राम भटकते थे वन वन में
सीता हरण किया रावण ने
तब तुमने प्रभु सागर लांघा
पता लगाया सीता मां का
तुमने बजा दिया निज डंका
दहन करी सोने की लंका
राम और रावण युद्ध हुआ जब
सब पर भारी आप पड़े तब
मेघनाथ ने मारा आयुध
नागपाश बंध लक्ष्मण बेसुध
उड़ लाए संजीवनी बूटी
सेवा थी यह बड़ी अनूठी
मेरे लिए कहीं से ला दो
बूटी रंग बिरंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय जय बजरंगी
प्रभु तुम हो नव निधि के दाता
तुम हो मेरे भाग्य विधाता
कब से तुमको पूज रहा हूं
बीमारी से जूझ रहा हूं
थोड़ा सा उपकार करो प्रभु
मेरा भी उपचार करो प्रभु
जैसे तुमने लंका जारी
भस्म करो मेरी बीमारी
जैसे तुमने खोजी सीता
खोजो ऐसा कोई तरीका
मेरा दुख दारुण मिट जाए
और स्वास्थ्य की सीता आए
जो लक्ष्मण हित लाए बूटी
लाओ मेरे हित दवा अनूठी
मेरे त्रास मिटा दो हनुमन
कर दो तबीयत चंगी
जय जय जय बजरंगी
बोलो जय जय बजरंगी
मदन मोहन बाहेती घोटू
और उम्र कट गई
एक दिन गुजर गया,
एक रात कट गई
मात्र आठ प्रहर में ,
जिंदगी सिमट गई
कभी रहे प्रसन्न हम,
दुखी कभी तो अनमने
और उम्र कट गई
शनेः शनेःशनेः शनेः
कभी सिहरती सर्दियां
रिमझिमी फुहार थी
कभी कड़कती धूप तो
चांदनी बहार थी
और हम लगे रहे ,
यूं ही वक्त थामने
और उम्र कट गई
शनेःशनेः शनेः शनेः
बरसता का धन कभी-
कभी न कौड़ी पास थी
दुश्मनों का जोर था
दोस्त की तलाश थी
हंस के झेलते रहे
मुसीबतें थी सामने
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
दिया किसी ने दर्द भी
मिला किसी का प्यार भी
मिली कभी जो जीत तो
पाई हमने हार भी
बदलती रही फिजा
फर्क ना पड़ा हमें
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
जवानी में सुख मिला
बुढ़ापे ने दुख दिया
मेरे पीछे पड़ गये
रोग और बीमारियां
सबसे हम लड़ते रहे
कौन माटी के बने
और उम्र कट गई
शनेः शनेः शनेः शनेः
मदन मोहन बाहेती घोटू
तुमसे सीखा बाबूजी
कैसे सादा जीवन जीना ,
तुमसे सीखा बाबूजी
कैसे मन का गुस्सा पीना ,
तुमसे सीखा बाबूजी
कैसे सबका साथ निभाना,
तुमसे सीखा बाबूजी
हरदम हंसना और मुस्काना,
तुमसे सीखा बाबूजी
सीमित साधन में खुश रहना ,
तुमसे सीखा बाबूजी
खुद का दर्द अकेले सहना,
तुमसे सीखा बाबूजी
गुस्सा हो पर नहीं डांटना
तुमसे सीखा बाबूजी
सब में अपना प्यार बांटना ,
तुमसे सीखा बाबूजी
दृढ़ रह कर विपदा से लड़ना,
तुमसे सीखा बाबूजी
सोच समझ कर आगे बढ़ना,
तुमसे सीखा बाबूजी
संस्कार शुभ ,सब में बांटो,
तुमसे सीखा बाबूजी
हंसते-हंसते जीवन काटो
तुमसे सीखा बाबूजी
कम खाओ,और गम खाओ तुम
तुमसे सीखा बाबूजी
कलह रुकेगा ,तुम नम जाओ
तुमसे सीखा बाबूजी
पैसा पा अभिमान न करना
तुमसे सीखा बाबूजी
कोई का अपमान न करना ,
तुमसे सीखा बाबूजी
सदा नम्रता को अपनाओ
तुमसे सीखा बाबूजी
पूजा करो ,प्रभु गुण गाओ,
तुमसे सीखा बाबूजी
तुम्हारी ही शिक्षाओं का फल है कि परिवार सभी
है समृद्ध ,मिलजुल रहते हैं
बांट रहे हैं प्यार सभी
मदन मोहन बाहेती घोटू
hip hop rap news
--
Vous recevez ce message, car vous êtes abonné au groupe Google Groupes "Fun funn".
Pour vous désabonner de ce groupe et ne plus recevoir d'e-mails le concernant, envoyez un e-mail à l'adresse fun-funn+unsubscribe@googlegroups.com.
Cette discussion peut être lue sur le Web à l'adresse https://groups.google.com/d/msgid/fun-funn/14d21b55-4e48-4c8c-8cd9-d8e1c66bad6bn%40googlegroups.com.
रविवार, 9 जून 2024
वरिष्ठ साथियों से एक निवेदन
भूल जाओ कि तुम जन्मे थे
किसी रईसी आंगन में
बड़ी शान और नाज़ नखरों से
मौज मनाई बचपन में
भूल जाओ आसीन रहे तुम
ऊंचे ऊंचे ओहदों पर
इतना खौफ हुआ करता था
कांपा करता था दफ्तर
भूल जाओ तुम्हारा फेवर
पाने को आगे पीछे
भीड़ लगी रहती लोगों की
घेरे रहते थे चमचे
सरकारी गाड़ी ,शोफर था
एक बड़ा सा था बंगला
फौज नौकरों की थी घर पर
रौब तुम्हारा था तगड़ा
लेकिन जब तुम हुए रिटायर
राजपाट सब छूट गया
चमचे भी हो गए पराये
हृदय तुम्हारा टूट गया
दिल्ली की एक सोसाइटी में
एक छोटा सा फ्लैट लिया
बच्चे बसे विदेश ,संग अब
रहते बीवी और मियां
तुम्हारे जैसे कितने ही,
बुझे बुझे से अंगारे
ऐसी ही कुछ परिस्थिति में
बसे यहां पर है सारे
सबका भूतकाल स्वर्णिम था
थे ऑफिसर डायरेक्टर
लेकिन समय काटने को सब
एक दूजे पर अब निर्भर
साथ घूमते खाते पीते
गप्प मारते गार्डन में
बीती हुई अफसरी का पर
भूत जागता जब मन में
छोटी छोटी बातों मे भी
ईगो जागृत हो जाता
बच्चों जैसे लड़ने लगते
प्रेम भाव सब खो जाता
तो मेरे हमसफर साथियों
मुझको बस यह कहना है
बाकी बची उम्र है जितनी
हमें संग ही रहना है
भूल जाओ तुम बीती बातें
ऐसे थे तुम वैसे थे
कोई फर्क किसी को भी
ना पड़ता है तुम कैसे थे
गीत रईसी के मत गाओ
भूलो ऊंची पोजीशन
भूल जाओ सब ठाठ बाट और
जियो आम आदमी बन
भूलो मत कटु सत्य जी रहे
हम तुम सब हैं बोनस में
कब तक जीना,कब मरना है
नहीं हमारे कुछ बस में
इसीलिए जितना जीवन है
मिलजुल रहो दोस्ती में
हंसी खुशी से नाचो गाओ
वक्त गुजारो मस्ती में
भूल जाओ तुम कि कल क्या थे
सिर्फ आज की याद रखो
जी भर प्यार लुटाओ सब पर
जीवन को आबाद रखो
मदन मोहन बाहेती घोटू
हलचल अन्य ब्लोगों से 1-
-
हम आत्मदेश के वासी हैं - हम आत्मदेश के वासी हैं भीतर एक ज्योति जलती है जो तूफ़ानों में भी अकंप, तन थकता जब मन सो जाताजगा रहता आत्मा निष्कंप !तन शिथिल हुआ मन दृढ़ अब भी ‘स्वयं’ सदा ...3 घंटे पहले
-
Notice: Subscription Renewal and Payment Due - [image: Netflix] Your account is on hold. Reminder: update your payment details We're having some trouble with your current billing information. Retry Payme...4 घंटे पहले
-
कोरोना काल (2) - एकाकी जीवन .................... एकाकी जीवन की शुरुआत जुलाई 2020 से हुई। जौनपुर में अलग कमरा लेकर रहने लगा। बिस्तर तो मेरे पास था ही, कमरे में चौकी, पंख...4 घंटे पहले
-
किताब मिली - शुक्रिया -5 - मुतमइन था दिन के बिखराव से मैं लेकिन ये रात दाना दाना फिर अ'जब ढंग से पिरोती है मुझे * इश्क़ में मैं भी बहुत मुहतात था सब झूठ है और ये साबित कर गया कल रात...1 दिन पहले
-
1422-पिता की चिंता - *रश्मि शर्मा* *हममें बहुत बात नहीं होती थी उन दिनों* *जब मैं बड़ी होने लगी* *दूरी और बढ़ने लगी हमारे दरमियाँ* *जब माँ मेरे सामने * *उनकी जुबान बो...2 दिन पहले
-
नवगीत संग्रह — "टुकड़ा कागज़ का" का तृतीय संस्करण - ------------------------------ "अवनीश चौहान के सृजन में लघु में विराट की यात्रा के संकेत हैं, जहाँ उनकी काल्पनिक, भावुक और नैसर्गिक शक्तियों का, यथार्थ के...3 दिन पहले
-
776. कशमकश - कशमकश *** रिश्तों की कशमकश में ज़ेहन उलझा है उम्र और रिश्तों के इतने बरस बीते मगर आधा भी नहीं समझा है फ़क़त एक नाते के वास्ते कितने-कितने फ़रेब सहे बिना ...5 दिन पहले
-
डिजिटल रेप होता क्या है - पढ़ें और जाने - देशभर में डिजिटल रेप की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. दिल्ली से सटे नोएडा में आए दिन डिजिटल रेप के नए नए मामले सामने आ रहे हैं इसके साथ ही लोग...1 हफ़्ते पहले
-
सिद्ध और सिद्धि प्राप्ति - सिद्ध और सिद्धि प्राप्ति ⤵️ पतंजलि योग दर्शन के विभूति पाद में संयम सिद्धि से 45 प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति की बात कही गई है । जिन्हें योग साधना में...1 हफ़्ते पहले
-
हरियाली खुशहाली है... संध्या शर्मा - बच्चों आओ मैं हूँ पेड़ मुझे लगाओ करो ना देर जब तुम मुझे उगाओगे धरती सुखी बनाओगे दुनिया मेरी निराली है हरियाली खुशहाली है रोको मुझपर होते प्रहार मै...1 हफ़्ते पहले
-
लाइनमैन...... - वो!जोनौतपा की झुलसाने वाली गर्मी मेंचरम बिंदु को छूतेताप के मान कोअपनी नियति जान करकंक्रीट के जंगलों में बसेआधुनिक आदिमानवों कीविद्युत पूर्ति करने कोअपने अ...2 हफ़्ते पहले
-
जलते हुए पेड़ - कल रात घुमावदार घाटी पार करते हुए,नीचे एक पुराने लंबे वृक्ष को जलते देखना, कितना विचलित कर देने वाला अनुभव था! जैसे कोई दैत्य अट्टहास करता हुआ अपनी भुजाएं...2 हफ़्ते पहले
-
मैं जीवन हूँ - न मैं सुख हूँ न दुख न राग न द्वेष मैं जीवन हूँ बहता पानी तुम मिलाते हो इसमें जाने कितने केमिकल्स अपने स्वार्थों के भरते हो इसमें कभी धूसर रंग कभी लाल तो ...3 हफ़्ते पहले
-
पोस्ट आफिस - पोस्टआफिस आज पोस्ट आफिस जाने का काम पडा। घर के पास वाला पोस्ट आफिस बंद था एक मन हुआ कि वापस घर चला जाए लेकिन फिर सोचा थोड़ा दूर ही सही गाड़ी से जाना ह...3 हफ़्ते पहले
-
गुमशुदा ज़िन्दगी - ज़िन्दगी कुछ तो बता अपना पता ..... एक ही तो मंज़िल है सारे जीवों की और वो हो जाती है प्राप्त जब वरण कर लेते हैं मृत्यु को , क्यों कि असल मंज़िल म...4 हफ़्ते पहले
-
राजनीति नारी का अपमान न करे - भाजपा और अंधभक्त आज सत्ता के नशे में चूर नजर आ रहे हैं और इसका जीता जागता प्रमाण वे स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं. विपक्ष के नेताओं को लेकर भाजपा के बड़े ब...1 माह पहले
-
हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं - हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही समुद्र लाँघने में सक्षम थे, फिर पहले हनुमान जी लंका क्यों गए? "अंगद कहइ जाउँ मैं पार...1 माह पहले
-
एक अनूठी फ़िल्म- 'नज़र अंदाज़'. - 37° C, तापमान से बचने के लिये,, कमरे के परदे खींचे, A.C. चलाया और ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई फ़िल्म खोजने लगे. इत्तेफ़ाक़ से एक फ़िल्म का ट्रेलर चलने लगा, और...2 माह पहले
-
-
हाथी तो हाथी होता है - हाथी तो हाथी होता है । जंगल का साथी होता है । हरदम उसकी मटरगशतियां, कभी खेत में, कभी बस्तियां; कभी नदी के बैठ किनारे, देखा करता है वो कश्तियां । कभी हि...3 माह पहले
-
महिला दिवस विशेष १- भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की भूमिकाएँ - *भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की पार्श्व भूमिकाएँ – ऋता शेखर ‘मधु’* सिनेमा को सबसे लोकप्रिय कला माध्यम के रूप में देखा जाता है। एक वक्त था जब भा...3 माह पहले
-
'साहित्य' अलग है, 'भाषा' अलग है - भाषा में होता है ज्ञानऔर...अपना ज्ञान भी होता है भाषा काछोटे शब्दों में कहिए तोभाषा यानिज्ञान भीन मौन हैभाषाऔर न हीज्ञान मौन हैएक पहचान हैभाषा...जो अपने आ...3 माह पहले
-
-
जो मेरे अन्दर से गुजरता है - जाने कौन है वो जो मेरे अन्दर से गुजरता है थरथरायी नब्ज़ सा खामोश रहता है मैं उसे पकड़ नहीं सकती छू नहीं सकती एक आखेटक सा शिकार मेरा करता है जाने क...4 माह पहले
-
ओ साथी मेरे - मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ... वादा किया था उससे -कहा मानूंगी राह तक रही हूँ ,अब तक खड़ी वहीं... वो अब हमेशा के लिए म...4 माह पहले
-
रामलला का करते वंदन - कौशल्या दशरथ के नंदन आये अपने घर आँगन, हर्षित है मन पुलकित है तन रामलला का करते वंदन. सौगंध राम की खाई थी उसको पूरा होना था, बच्चा बच्चा थ...4 माह पहले
-
जीने का जज़्बा - *अरमाँ की तरह जो संग चले * *बाहों में वो कुछ यूँ भर ले * *जैसे कोई अपना होता है * *जैसे कोई सपना होता है * *कानों में वो कुछ यूँ कहता * *धरती अपनी ,दु...4 माह पहले
-
कल्पना - आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रही हूँ वह एक ऐसी घटना है जिसे यदि आप जीना चाहते हैं तो अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाईये. जितना ज्यादा आप अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाए...4 माह पहले
-
12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत? - *12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?* विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के...5 माह पहले
-
वर्तमान की वह पगडंडी जो इस देहरी तक आती थी..... - *युद्ध : बच्चे और माँ (कविता)* साहित्य अकादमी के वार्षिक राष्ट्रीय बहुभाषीकवि सम्मेलन की चर्चा मैंने अभी पिछली बार की थी। वहाँ काव्यपाठ में प्रस्तुत अपनी र...8 माह पहले
-
अवतरो धरा पर, हे नव शिशु ! - * अवतरो धरा पर, हे नव शिशु अँधियारे के कठिन प्रहरों में, तमस् की कारा में जहाँ युग तुम्हारी प्रतीक्षा में लोचन बिछाये है.सद्भावों के पक्ष मे दैवी शक्...9 माह पहले
-
इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! - Bhukamp kab aayega इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! 21वीं सदी के शुरू होते ही इंटरनेट पर हिंदी ...9 माह पहले
-
डॉल्बी विजन देखा क्या? - इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या? यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें. अब इससे आगे की बात – डॉल्बी विजन देखा क...9 माह पहले
-
चन्द्रशेखर आज़ाद - चंद्रशेखर "आज़ाद" ************** उदयाचल से अस्तातल तक इसकी जय जयकार रही, शिक्षा और ज्ञान की इस पर बहती सतत बयार रही, वैभव में दुनियाँ का कोई देश न इसका सानी...1 वर्ष पहले
-
-
अनायास - - * नयन अनायास भर आते हैं कभी, यों ही बैठे बैठे! नहीं , कोई दुख नहीं , कोई हताशा नहीं , शिकायत भी किसी से नहीं कोई. क्रोध ? उसका सवाल ही नहीं उठता ...1 वर्ष पहले
-
क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ - ग़ज़ल मंज़िल से अब दूर नहीं हूँ थोड़ा भी मग़रूर नहीं हूँ गिर जाऊँ समझौते कर लूँ इतना भी मजबूर नहीं हूँ दूर हुआ तू मुझसे फिर भी तेरे ग़म से चू...1 वर्ष पहले
-
Measuring Astronomical distances in Space - क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी, एक ...1 वर्ष पहले
-
भकूट - कूट-कूट कर भरा हुआ प्रेम.. - सबको भकूट दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब भी हैरान हो रहे होंगे कि आज तो वैलेंटाइन डे है, हैप्पी वैलेंटाइन डे बोलना होता है, यह भकूट दिवस क्या और कैसा। त...1 वर्ष पहले
-
इल्लियाँ और तितलियाँ - बेचैन हैं कुछ इल्लियाँ तितलियाँ बन जाने को कर रही हैं पुरज़ोर कोशिश निकलने की कैद से अपने कोकून की। वे काट कर चोटियाँ, लहरा रही हैं , आज़ादी का परचम। गोलियाँ ...1 वर्ष पहले
-
संवाद - एकांत में संवाद ************* उदास काले फूलों वाली रात उतरी पहाड़ो की देह पर जैसी सरकती हैं जमी पर असंख्य लाल चीटियां झूठी हँसी लिए स्नोड्राप बह रहे हैं एक ब...1 वर्ष पहले
-
कुछ तो - *कुछ तो * सोचती हूं खोल दूं बचपन की कॉपियां और निकाल दूं सब कुछ जो छुपाती रही समय और समय की नजाकत के डर से निकालूँ वह इंद्रधनुष और निहारूं उसे ज...1 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी पुरशबाब होती है - क्या कहूँ क्या जनाब होती है जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो वो मगर लाजवाब होती है उम्र की बात करने वालों सुनो ज़िन्दगी पुरशबाब ह...1 वर्ष पहले
-
Boond - Samay ki dhara bahati hai Nirantar abadhit. Main to usability ek choosing boond Jo ho jayegi jalashay men samarpit. Ya dhara me awashoshit. N...1 वर्ष पहले
-
जाले: घोड़ा उड़ सकता है - जाले: घोड़ा उड़ सकता है: घोड़ा उड़ सकता है. पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व सवाई...1 वर्ष पहले
-
नाच नचावे मुरली - क्या-क्या नाच नचावे मुरली, जहां कहीं बज जावे मुरली। मीठी तान सुनावे मुरली, हर मन को हर्षावे मुरली , जिसने भी सुनली ये तान, नहीं रहे उसमें अभिमान। मुरली तेर...1 वर्ष पहले
-
"संविदा कर्मियों का दर्द" @गरिमा लखनवी - *संविदा कर्मियों का दर्द* *@**गरिमा लखनवी* *--* *कोई क्यों नहीं समझता* *दर्द हमारा* *हम भी इंसान हैं* *योगदान भी है हमारा* *--* *सरकारी हो या निजी* * कैसा भ...1 वर्ष पहले
-
शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२५) - * ये जीवन कढ़ाई में उबलती घनी मलाई की तरह है जिसमें हमारे सदगुण व अवगुण ( विकार, विचार, अच्छाई, बुराई, मोह, तृष्णा, वि...1 वर्ष पहले
-
-
Tara Tarini Maha Shaktipeeth. - *Tara Tarini Maha Shaktipeeth* *गंजम जिले में पुरुषोत्तमपुर के पास रुशिकुल्या नदी के तट पर कुमारी पहाड़ियों पर तारा-तारिणी ओडिशा के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों...2 वर्ष पहले
-
मशहूर कथाएं : काव्यानुवाद - *दो बैलों की कथा :मुंशी प्रेमचंद)* (1) बछिया के ताऊ कहो, कहो गधा या बैल। हीरा मोती मे मगर, नहीं जरा भी मैल। नही जरा भी मैल, दोस्ती बैहद पक्की। मालिक झूरी म...2 वर्ष पहले
-
अनूठा रहस्य प्रकृति का... - रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष उसकी सख्त डालियों से लगे नरम नाजुक पुष्पों की करता रखवाली कि नरम नाजुक से पुष्प सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर सुकोमल...2 वर्ष पहले
-
उद्विग्नता - जीवन की उष्णता अभी ठहरी है , उद्विग्न है मन लेकिन आशा भी नहीं कर पा रही इस मौन के वृत्त में प्रवेश बस एक उच्छवास ले ताकते हैं बीता कल , निर्निमे...2 वर्ष पहले
-
क्षणिका - हां सच है देहरी पार की मैंने वर्जनाओं की रुढ़िवाद की पाखंड की कुंठा की .... ओह सभ्य समाज ....! तुम्हारी ओर से सिर्फ घृणा .? कहो इतने नाजुक कब से हो लि...3 वर्ष पहले
-
महिला दिवस - विशेष - मैंने माँ से पहचाना एक स्त्री होना कितना दुसाध्य है कोई देवता हो जाने से पहचाना अपनी बहिनों से कैसे वो जोड़े रखती हैं एक घर को दूसरे से सीख पाया अपनी बेटियो...3 वर्ष पहले
-
चुप गली और घुप खिडकी - एक गली थी चुप-चुप सी इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी इक रोज़ गली को रोक ज़रा घुप खिड़की से आवाज़ उठी चलती-चलती थम सी गयी वो दूर तलक वो देर तलक पग-पग घायल डग भर प...3 वर्ष पहले
-
गलती से डिलीट हो गए मेरे पुराने पोस्टों की पुनर्प्राप्ति : इंटरनेट आर्काइव के सौजन्य से - दो वर्ष पहले ब्लॉग का टेम्पलेट बदलने की की कोशिश रहा था। सहसा पाया कि कुछ पोस्ट गए। क्या हुआ था, पूरा समझ में नहीं आया। बाद में ब्लॉगर वालों को भ...3 वर्ष पहले
-
Pooja (laghukatha) - पूजा " सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा " जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है...3 वर्ष पहले
-
अलसाई शाम तले - यूँ ही एल अलसाई शाम तले बैठें थे कभी दो चार जब पल मिले मदहोश शाम ढल गयी यूँ ही आलस में तकदीर में जाने कब हों फिर ये सिलसिले ..4 वर्ष पहले
-
-
लाॅकडाउन 2 - मोदी जी....सुनो:- धीरे धीरे ही सही बीते इक्किस वार सोम गया मंगल गया कब बीता बुधवार कब बीता बुधवार हो गया अजब अचंभा लगता है इतवार हो गया ज्यादा लंबा दाढ़ी भी ...4 वर्ष पहले
-
-
Gatyatmak Jyotish app - विज्ञानियों को ज्योतिष नहीं चाहिए, ज्योतिषियों को विज्ञान नहीं चाहिए।दोनो गुटों के झगडें में फंसा है गत्यात्मक ज्योतिष, जिसे दोनो गुटों के मध्य सेतु ...4 वर्ष पहले
-
2019 का वार्षिक अवलोकन (अट्ठाईसवां) - खत्म होनेवाला है हमारा इस साल का सफ़र। 2020 अपनी गुनगुनी,कुनकुनी आहटों के साथ खड़ा है दो दिन के अंतराल पर। चलिए इस वर्ष को विदा देते हुए कुछ बातें कहती...4 वर्ष पहले
-
-
इंतज़ार और दूध -जलेबी... - वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि ब...4 वर्ष पहले
-
गुड्डू आओ ... गोलगप्पे खाएँ .... - गुड्डू आओ ... चलें .. गोलगप्पे खाएँ कुछ खट्टे-मीठे .. तो कुछ चटपटे-चटपटे खाएँ चलो .. चलें ... अपने उसी ठेले पे .. स्कूल के पास ... आज .. जी भर के ... मन भ...4 वर्ष पहले
-
cara mengobati herpes di kelamin - *cara mengobati herpes di kelamin* - Penyakit herpes genital baik pada pria maupun pada wanita kerap menjadi permasalahan tersendiri, karena resiko yang le...5 वर्ष पहले
-
-
आइने की फितरत से नफरत करके क्या होगा - आईने की फितरत से नफरत करके क्या होगा किरदार गर नहीं बदलोगे किस्सा कैसे नया होगा हर बार आईना देखोगे धब्बा वही लगा होगा आईने लाख बदलो सच बदल नहीं सकते ज...6 वर्ष पहले
-
शर्मसार होती इंसानियत.. - *इंसानियत का गिरता ग्राफ ...* आज का दिन वाकई एक काले दिन के रूप में याद किया जाना था. सबेरे जब समाचार पत्रों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस समाचा...6 वर्ष पहले
-
कूड़ाघर - गैया जातीं कूड़ाघर रोटी खातीं हैं घर-घर बीच रास्ते सुस्तातीं नहीं किसी की रहे खबर। यही हाल है नगर-नगर कुत्तों की भी यही डगर बोरा लादे कुछ बच्चे बू का जिनपर...6 वर्ष पहले
-
एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता - घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ नाम बचे है बाकी तीज त्योहार कहाँ ...6 वर्ष पहले
-
लिखते रहना ज़रूरी है ! - पिछले कई महीनों में जीवन के ना जाने कितने समीकरण बदल गए हैं - मेरा पता, पहचान, सम्बन्ध, समबन्धी, शौक, आदतें, पसंद-नापसंद और मैं खुद | बहुत कुछ नया है लेकिन...6 वर्ष पहले
-
इन आँखों में बारिश कौन भरता है .. - बेतरतीब मैं (३१.८.१७ ) ` कुछ पंक्तियाँ उधार है मौसम की मुझपर , इस बरस पहले तो बरखा बरसी नहीं ,अब बरसी है तो बरस रही ,शायद ये पहली बारिशों का मौसम...6 वर्ष पहले
-
सवाल : हम आपदाओं में फेल क्यों? जवाब में यह हकीकत पढि़ए - राजस्थान के एक हिस्से में बाढ़ का कहर है और लोग आपदा से घिरे हैं। प्रशासनिक अमला इतना असहाय नजर आ रहा है। आपदाएं हमेशा आती है और सरकारी तंत्र लाचार नजर आ...6 वर्ष पहले
-
ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3 - पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदा...6 वर्ष पहले
-
गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो - *गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो * लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भ...6 वर्ष पहले
-
जिन्द्गी - जिन्दगी कल खो दिया आज के लिए आज खो दिया कल के लिए कभी जी ना सके हम आज के लिए बीत रही है जिन्दगी कल आज और कल के लिए. दोस्तों आज मेरा जन्म दिन भ...6 वर्ष पहले
-
हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे - *हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगेहाँ ! चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे* जो रात होगी तो जमी से चाँदी बटोर लेंगे चाँदी की फिर पायल बना लम्हों ...7 वर्ष पहले
-
-
Demonetization and Mobile Banking - *स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...* प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...7 वर्ष पहले
-
गीत अंतरात्मा के: आशा - गीत अंतरात्मा के: आशा: मैं एक आशा हूँ मेरे टूट जाने का तो सवाल ही नहीं होता मैं बनी रहती हूँ हर एक मन में ताकि हर मन जीवित रह सके मुझे खुद को बचाए ही र...7 वर्ष पहले
-
'जंगल की सैर ' - मेरी पुरुस्कृत बाल कहानी 'जंगल की सैर ' मातृभारती पर। पढ़े और अपनी राय दें http:matrubharti.com/book/5492/7 वर्ष पहले
-
-
पानी की बूँदें - पानी की बूँदे भी, मशहूर हो गई । कल तक जो यूँही, बहती थी बेमतलब, महत्वहीन सी यहाँ वहाँ, फेंकी थी जाती, समझते थे सब जिसके, मामूली सी ही बूँदें, आज वो पहुँच स...8 वर्ष पहले
-
खोया बच्चा..... - आज एक हास्य कविता एक बच्चा रो रहा था , मेले में अनाउंसमेंट हो रहा था , जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ | तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है जल्दी से बच...8 वर्ष पहले
-
-
-
स्वागतम् - मित्रों, सभी को अभिवादन !! बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ | इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई ब्लॉग के लि...8 वर्ष पहले
-
बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...8 वर्ष पहले
-
विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग - *विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग* हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...8 वर्ष पहले
-
Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ” - *पिसते… घिसते… तराशे जाते…* *गिरते… छिलते… लताडे जाते…* *मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…* *गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…* *लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...8 वर्ष पहले
-
-
-
-
हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...9 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी का गणित - कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा न्यून तो किसी को अधिक वो लगा घात की घात क्या जान पाये नहीं हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...9 वर्ष पहले
-
-
कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...9 वर्ष पहले
-
जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...9 वर्ष पहले
-
झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...9 वर्ष पहले
-
-
आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...9 वर्ष पहले
-
झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...9 वर्ष पहले
-
हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...9 वर्ष पहले
-
-
गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
-
-
संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...10 वर्ष पहले
-
प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...11 वर्ष पहले
-
आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
-
OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...11 वर्ष पहले
-
इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...11 वर्ष पहले
-
यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...11 वर्ष पहले
-
आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...11 वर्ष पहले
-
-
क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
-
कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
-
HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
-
"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...12 वर्ष पहले
-
अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...12 वर्ष पहले
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-