प्यार और समझ
सोच समझ कर कदम बढ़ा तू, दिल ने कितना ही समझाया
बिन समझे ही प्यार हुआ पर , बिन समझे ही साथ निभाया
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं ,जिनको हम तुम नहीं बनाते
ईश्वर द्वारा निर्मित होते ,और ऊपर से बनकर आते इसीलिए हम सोच समझकर उन्हें निभाए समझदारी है एक दूसरे को हम समझे, रहना संग उमर सारी है
कुछ तो नयन नयन से उलझे,और कुछ दिल से दिल उलझाया
बिन समझे ही प्यार हो गया, बिन समझे ही साथ निभाया
प्यार हुआ करता है दिल से ,नहीं समझ की जरूरत पड़ती
जितना साथ साथ हम रहते ,प्रीत दिनों दिन जाती बढ़ती
सामंजस्य बना आपस में ,जीवन सुख से जी सकते हैं अगर समर्पण हो आपस में, सुख का अमृत पी सकते हैं प्रेम भाव में डूब गया जो, जीवन का आनंद उठाया
बिन समझे ही प्यार हो गया, बिन समझे ही साथ निभाया
मदन मोहन बाहेती घोटू
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