पुरानी यादें
याद आते हैं वह दिन जो तुम्हारे साथ बीते थे
सवेरे गैलरी में बैठ कर ,संग चाय पीते थे
बड़ी मन में तसल्ली थी कोई जल्दबाजी थी
बड़ा उन्मुक्त जीवन था ,खुशी थी,खुशमिजाजी थी
न थी ज्यादा तमन्नायें,और सपने में थोड़े थे
शाम की चाय के संग मिलते बोनस में पकौड़े थे
न चिंता ना परेशानी ,बड़ी मस्ती से जीते थे
याद आते हैं वह दिन जो तुम्हारे साथ बीते थे
सबेरे गैलरी में बैठ कर ,संग चाय पीते थे
पुरानी दास्ताने, दोस्तों की ,याद करते थे
गया गुजरा न था, गुजरा जमाना ,बात करते थे निकलता दिन सवेरे कब, शाम को कैसे ढल जाता लगाकर पंख सारा वक्त था, कैसे निकल जाता
न उलझन थी, न झंझट थे,सभी सुख और सुभीते थे
याद आते हैं वो दिन जो तुम्हारे साथ बीते थे
सवेरे गैलरी में बैठ कर , संग चाय पीते थे
मदन मोहन बाहेती घोटू
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