कोविड में
कोविड में कुछ कर न सके हम,दूरी रखनी थी कायम ,
चुपके-चुपके, इनसे उनसे,नैन लड़ाना सीख गए
मुख पर उनके मास्क,हमारे मुख पर भी था मास्क चढ़ा
बातचीत तो हो ना पायी, बात बढाना सीख गए
अब जब मुख से मास्क हटा तो यह पहचान नहीं होती
थे वे कौन रसीले नैना, जिनसे नयन लड़ाए थे ,
निश्चित शोख हसीना होगी, अच्छा टाइम पास हुआ,
लॉकडाउन में दिल पर अपने लॉक लगाना सीख गए
मदन मोहन बाहेती घोटू
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
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