अपने ही मेहमान हो गए
अपने घर में अपने वाले ही अपने मेहमान हो गए
बस दो दिन के लिए आ गए समारोह की शान हो गए
अब शादी और समारोह में ,भीड़ जुटाना बड़ी भूल है
यूं ही वक्त की बरबादी है और खर्चा करना फिजूल है
पास किसी के समय नहीं है फिर भी पड़ जाता है आना हो करीब की रिश्तेदारी, पड़ता है व्यवहार निभाना
वैसे रहते व्यस्त सभी है ,किंतु व्यस्तता इनकी ज्यादा
मिलती नहीं जरा भी फुरसत,काम बोझ ने ऐसा बांधा
फिर भी जैसे तैसे करके,वक्त निकाला और वो आए इतना था इसरार प्यार का , कि वो टाल उसे ना पाए
आए सबसे मिले,कृपा की,और फिर अंतर्ध्यान हो गए
अपने घर में, अपने वाले, ही अपने मेहमान हो गए
घोटू
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