भाई साहब आपकी याद आ रही है
आज सुबह छोटे भाई का फोन आया,
बोला भाई साहब हम अल्फांजो आम खा रहे हैं
आप बहुत ज्यादा रहे हैं
कल जीजाजी का फोन आया था ,
आपकी बहन जी गरम गरम जलेबी बना रही है
आपकी बहुत याद आ रही है
दो दिन पहले बहन जी का फोन आया था,
आज शादी में दाल बाफले की रसोई थी खाई
आपकी बहुत याद आई
हद तो तब हो गई जब मायके गई बीबी का फोन आया उससे बताया
आज कल काले काले जामुन की बहार है
जब भी हम खाते हैं
आप बहुत याद आते हैं
जब इस तरह के फोन आते हैं
कि कुछ खाद्यपदार्थ, लोगों को मेरी याद दिलाते हैं
तो मेरे मन में होती है एक चुभन
क्या इसीलिए याद किए जाते हैं हम
कोई मेरे प्यार को
मेरे दुलार को
मेरी आत्मीयता के बंधन को
मेरे अपनेपन को
मेरी अच्छाइयों बुराइयों को लेकर
मुझे क्यों नहीं करता है कोई याद
तेरी मन में भर जाता है अवसाद
क्या मेरी यादों के लिए खाली नहीं उनके दिल का कोइ कोना है
मैं सिर्फ़ खाने पीने की चीजों को देखकर याद किया जाता हूं
क्या मेरा मेरा व्यक्तित्व इतना बौना है?
मदन मोहन बाहेती घोटू
सुन्दर रचना
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