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सोमवार, 30 जुलाई 2018

           जानवर और मुहावरे 

कितनी अच्छी अच्छी बातें,हमें जानवर है सिखलाते 
उनके कितने ही मुहावरे , हम  हैं  रोज  काम में लाते 
भैस चली जाती पानी में ,सांप छुछुंदर गति हो जाती 
और मार कर नौ सौ चूहे ,बिल्ली जी है हज को जाती 
अपनी गली मोहल्ले में  आ ,कुत्ता शेर हुआ करता है 
रंगा सियार पकड़ में आता ,जब वो हुआ,हुआ करता है 
बिल्ली गले कौन बांधेगा ,घंटी,चूहे सारे  डर जाते है  
कोयल और काग जब बोले , अंतर तभी  समझ पाते है 
बॉस दहाड़े दफ्तर में पर ,घर मे भीगी बिल्ली बनता 
सांप भले कितना टेढ़ा हो,पर बिल में है सीधा घुसता
 काटो नहीं ,मगर फुंफ़कारो ,तब ही सब दुनिया डरती है 
देती दूध ,गाय की  लातें , भी हमको सहनी पड़ती है 
मेरी बिल्ली ,मुझसे म्याँऊ ,कई बार ऐसा होता है 
झूंठी प्रीत दिखाने वाला ,घड़ियाली  आंसू  रोता है 
चूहे को चिंदी मिल जाती ,तो वह है बजाज बन जाता 
बाप मेंढकी तक ना मारी  , बेटा  तीरंदाज  कहाता 
कुवे के मेंढक की दुनिया ,कुवे में ही सिमटी  सब है 
आता ऊँट  पहाड़ के नीचे ,उसका गर्व टूटता  तब है 
भले दौड़ता हो तेजी से ,पर खरगोश हार जात्ता है 
कछुवा धीरे धीरे चल कर ,भी अपनी मंजिल पाता है 
रात बिछड़ते चकवा,चकवी ,चातक चाँद चूमना चाहे 
बन्दर क्या जाने अदरक का ,स्वाद भला कैसा होता है 
रोटी को जब झगड़े बिल्ली ,और बन्दर झगड़ा सुलझाये 
बन्दर बाँट इसे कहते है,सारी  रोटी खुद खा जाए 
कोई बछिया के ताऊ सा ,सांड बना हट्टा कट्टा है 
कोई उल्लू सीधा करता ,कोई उल्लू का पट्ठा  है 
मैं ,मैं, करे कोई बकरी सा ,सीधा गाय सरीखा कोई 
हाथी जब भी चले शान से ,कुत्ते भोंका करते यों  ही  
चींटी के पर निकला करते ,आता उसका अंतकाल है 
रंग बदलते है गिरगट  सा ,नेताओं का यही हाल है
कभी कभी केवल एक मछली ,कर देती गन्दा तालाब है 
जल में रहकर ,बैर मगर से ,हो जाती हालत खराब है 
उन्मादी जब होगा हाथी ,तहस नहस सब कुछ कर देगा 
है अनुमान लगाना मुश्किल,ऊँट कौन करवट  बैठेगा 
जहाँ लोमड़ी पहुँच न पाती,खट्टे वो अंगूर बताती 
डरते बन्दर की घुड़की से ,गीदड़ भभकी कभी डराती 
सीधे  है पर अति होने पर,गधे दुल्लती बरसाते है 
साधू बन शिकार जो करते ,बगुला भगत कहे जाते है 
ये सच है बकरे की अम्मा ,कब तक खैर मना पाएगी 
जिसकी भी लाठी में दम है ,भैस उसी की  हो जायेगी 
कौवा चलता चाल हंस की ,बेचारा पकड़ा  जाता है 
धोबी का कुत्ता ना घर का,और न घाट का रह पाता है 
 घोडा करे  घास से यारी ,तो खायेगा  क्या बेचारा 
जो देती है दूध ढेर सा ,उसी गाय को मिलता चारा 
दांत हाथियों के खाने के ,दिखलाने के अलग अलग है 
बातें कितनी हमें  ज्ञान की ,सिखलाते पशु,पक्षी सब है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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