पति ही है वो प्राणी
कठिन सास का अनुशासन है और ननद के नखरे
देवर के तेवर तीखे है ,और श्वसुर सुर बिखरे
बेटा सुनता नहीं जरा भी ,कुछ बोलो तो रूठे
बेटी हाथों से मोबाईल , मुश्किल से ही छूटे
और देवरानी देवर से ,चार कदम है आगे
नौकर से जो कुछ बोलो तो काम छोड़ कर भागे
पर जिससे हर काम कराने में होती है आसानी
पत्नी आगे पीछे नाचे ,पति ही है वो प्राणी
मेहरी ,कामचोर नंबर वन ,फिर भी है नखराली
दिन भर खुद ही खटो काम में ,समय न मिलता खाली
सुनु एक की दस ,सब से ही ,जो मैं बोलूं चालूं
अपने मन की सब भड़ास मैं ,बोलो कहाँ निकालूँ
जिसे डाट मन हल्का कर लूं ,और जो सुन ले मेरी
बिना चूं चपड़ ,बात मान ले ,बिना लगाए देरी
सिर्फ पति हर बात मानता ,है बिन आना कानी
पत्नी आगे पीछे नाचे ,पति ही है वो प्राणी
मदनमोहन बाहेती 'घोटू '
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