गंगा और गंगोत्री
मांग में जिसका सिन्दूरी रंग है
सदा सुख दुःख में जो रहता संग है
प्यार करता ,तुम्हारा मनमीत है
जिंदगी का जो मधुर संगीत है
लहलहाई जिसने जीवन की लता
लाया है जो जिंदगी में पूर्णता
जो हृदय से तुम्हे करता स्नेह है
खुश रहो तुम यही जिसका ध्येय है
रात दिन खटता है जो परिवार हित
करती करवा चौथ तुम जिस प्यार हित
दिया जिसने सुख तुम्हे मातृत्व का
लुटाता जो खजाना ,अपनत्व का
सुख सदा बरसाता जिसका साथ है
जिसके कारण सुहागन हर रात है
जिसके संग ही जिंदगी में है ख़ुशी
जिसके कारण होठों पर थिरके हंसी
संवरना सजना सभी जिसके लिए
मुस्करा तुम संग में जिसके जिये
मुश्किलों में साथ जो हरदम खड़ा
जिसकी बाहों का सहारा है बड़ा
जो है हमदम ,दोस्त है और हमसफ़र
जिसके संग बंधन बंधा सारी उमर
जिसके कारण खनकती है चूड़ियां
ऐसा प्यारा पिया है जिसने दिया
ख्याल रखता जो तुम्हारा सर्वदा
प्यार की गंगा बहाता जो सदा
गंगा से गंगोत्री अति पूज्य है
पिता माता पति के अति पूज्य है
सास का गुणगान करना चाहिए
ससुर का सन्मान करना चाहिए
मदनमोहन बाहेती 'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।