पके हुए फल
हम तो पके हुए से फल है ,कब तक डाली पर लटकेंगे
गिरना ही अपनी नियति है ,आज नहीं तो कल टपकेंगे
इन्तजार में लोग खड़े है ,कब हम टपके ,कब वो पायें
सबके ही मन में लालच है ,मधुर स्वाद का मज़ा उठायें
देर टपकने की ही है देखो,हमको पाने सब झपटेंगे
हम तो पके हुए से फल है ,कब तक डाली पर लटकेंगे
ज्यादा देर रहे जो लटके ,पत्थर फेंक तोड़ देंगे वो
मीठा गूदा रस खा लेंगे ,गुठली वहीँ छोड़ देंगे वो
ज्यादा देर टिक गए तो फिर ,सबकी आँखों में खटकेंगे
हम तो पके हुए से फल है ,कब तक डाली पर लटकेंगे
गिरना ही अपनी नियति है ,आज नहीं तो कल टपकेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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