तिल की बात-दिल की बात
तिल तो है आजाद ,बैठे ,कहीं भी जा जिस्म पर ,
होठों पर जब बैठता है, कहते है कातिल इसे
गाल पर जब बैठता, होती निराली शान है ,
फिर भी कितने लोग कहते, दिलजलों का दिल इसे
एक दिन हम भी लुटे थे ,इसी तिल के फेर में,
तिल बड़ा ही तिलस्मी था ,हम पे जादू कर गया
गोरे गोरे गालों पर वो' ब्यूटी का स्पॉट' था ,
दिल हमारा बावला हो ,उसी तिल पर मर गया
तूल कुछ ऐसी पकड़ ली,दीवानेपन ने मेरे ,
उनकी उल्फत ने हमारा दिया ऐसा हाल कर
मेहरबाँ तिल यूं हुआ कि दिलरुबा वो बन गए ,
उम्र भर नाचा किये हम,उसी तिल की ताल पर
दिल मिलाना छोड़ कर वो तिलमिलाने लग गए ,
गुस्से में लगती हसीं ,जब गलती से हमने कहा
और तिल तिल जिंदगी भर ,यूं ही हम पिसते रहे,
हाल ये अब , इन तिलों में ,तैल ना बाकी रहा
दोस्तों अब क्या बताएं तुम को अपनी दास्ताँ ,
घुटते तिल तिल,हसीना कातिल से दिल हारे हुए
इसलिए ही जम के खाते ,तिल की पट्टी और गजक ,
लेते है गिन गिन के बदला ,तिल के हम मारे हुए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तिल तो है आजाद ,बैठे ,कहीं भी जा जिस्म पर ,
होठों पर जब बैठता है, कहते है कातिल इसे
गाल पर जब बैठता, होती निराली शान है ,
फिर भी कितने लोग कहते, दिलजलों का दिल इसे
एक दिन हम भी लुटे थे ,इसी तिल के फेर में,
तिल बड़ा ही तिलस्मी था ,हम पे जादू कर गया
गोरे गोरे गालों पर वो' ब्यूटी का स्पॉट' था ,
दिल हमारा बावला हो ,उसी तिल पर मर गया
तूल कुछ ऐसी पकड़ ली,दीवानेपन ने मेरे ,
उनकी उल्फत ने हमारा दिया ऐसा हाल कर
मेहरबाँ तिल यूं हुआ कि दिलरुबा वो बन गए ,
उम्र भर नाचा किये हम,उसी तिल की ताल पर
दिल मिलाना छोड़ कर वो तिलमिलाने लग गए ,
गुस्से में लगती हसीं ,जब गलती से हमने कहा
और तिल तिल जिंदगी भर ,यूं ही हम पिसते रहे,
हाल ये अब , इन तिलों में ,तैल ना बाकी रहा
दोस्तों अब क्या बताएं तुम को अपनी दास्ताँ ,
घुटते तिल तिल,हसीना कातिल से दिल हारे हुए
इसलिए ही जम के खाते ,तिल की पट्टी और गजक ,
लेते है गिन गिन के बदला ,तिल के हम मारे हुए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।