कोई है
मैं नहीं लिखता ,लिखाता कोई है
नींद से मुझको जगाता कोई है
क्या भला मेरे लिए क्या है बुरा ,
रास्ता मुझको दिखाता कोई है
कभी गर्मी,कभी सर्दी ,बारिशें ,
ऋतु में बदलाव लाता कोई है
हर एक ग्रह की अपनी अपनी चाल है,
मगर इनको भी चलाता कोई है
कभी धुंवा ,लपट या चिंगारियां ,
अगन कुछ ऐसी जलाता कोई है
डालते उसके गले में हार हम ,
जंग हमको पर जिताता ,कोई है
कौन है वो ,कैसा उसका रूप है,
कभी भी ना ,नज़र आता कोई है
दुनिया के कण कण को देखो गौर से,
हर जगह हमको दिखाता कोई है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मैं नहीं लिखता ,लिखाता कोई है
नींद से मुझको जगाता कोई है
क्या भला मेरे लिए क्या है बुरा ,
रास्ता मुझको दिखाता कोई है
कभी गर्मी,कभी सर्दी ,बारिशें ,
ऋतु में बदलाव लाता कोई है
हर एक ग्रह की अपनी अपनी चाल है,
मगर इनको भी चलाता कोई है
कभी धुंवा ,लपट या चिंगारियां ,
अगन कुछ ऐसी जलाता कोई है
डालते उसके गले में हार हम ,
जंग हमको पर जिताता ,कोई है
कौन है वो ,कैसा उसका रूप है,
कभी भी ना ,नज़र आता कोई है
दुनिया के कण कण को देखो गौर से,
हर जगह हमको दिखाता कोई है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुन्दर प्रस्तुति
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