वक़्त की बात
वक़्त किसको कब बना दे बादशाह ,
धूल कब किसको चटा दे ,खेल मे
कल तलक थी जिसकी तूती बोलती ,
आजकल वो सड़ रहे है जेल में
खेलते थे करोड़ों में जो कभी ,
आजकल वो हो गए कंगाल है
हजारों की भीड़ थी सत्संग में,
कोठरी में जेल की बदहाल है
भोगते फल अपने कर्मो का सभी,
जिंदगी की इसी रेलमपेल में
कल तलक थी जिसकी तूती बोलती ,
आजकल वो सड़ रहे है जेल में
घोटू
वक़्त किसको कब बना दे बादशाह ,
धूल कब किसको चटा दे ,खेल मे
कल तलक थी जिसकी तूती बोलती ,
आजकल वो सड़ रहे है जेल में
खेलते थे करोड़ों में जो कभी ,
आजकल वो हो गए कंगाल है
हजारों की भीड़ थी सत्संग में,
कोठरी में जेल की बदहाल है
भोगते फल अपने कर्मो का सभी,
जिंदगी की इसी रेलमपेल में
कल तलक थी जिसकी तूती बोलती ,
आजकल वो सड़ रहे है जेल में
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।