एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

ग़मे जिंदगी

      ग़मे जिंदगी
'घोटू' अपनी जिंदगी का क्या बताएं फ़लसफ़ा
टूटता ही दिल रहा है, हमेशा और हर दफा
चाहते थे जुल्फ में उनकी उगें,लहराये हम,
बाल दाढ़ी की तरह हम,आज निकले,कल सफा
उम्र भर मुस्कान को उनकी तरसते रह गए ,
मगर जब भी वो मिले ,नाराज़ से होकर ख़फ़ा
वो हमेशा , खुश रहे,हँसते रहे,आबाद हो,
बस यही अरमान ले ,की जिंदगी हमने  खपा
प्यार की हर रस्म तो ,हमने निभाई,प्यार से,
ता उमर  हम बावफ़ा थे,वो ही निकले बेवफ़ा

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-