चाकलेट
'चा' से चाव ,महोब्बत ,चाहत ,
एक दूजे संग ,अपनेपन की
'क'से कशिश,कामना मन में ,
जगती है जब मधुर मिलन की
'ले' से लेना देना चुम्बन,
ललक ,लालसा फिर लिपटन की
'ट'से टशन और टकराहट ,
नयन,अधर की और फिर तन की
छू होठों से ,मुंह में जाकर ,
घुलती स्वाद सदा है देती
चाकलेट ,प्रेमी जोड़ों का ,
मिलन मधुरता से भर देती
घोटू
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