दास्ताने जिंदगी
सबसे मीठी बातें की और उम्र भर बांटी मिठास ,
फिर भी देखो बुढ़ापे में ,बढ़ गयी खूं में शकर
दुश्मनो से ता उमर हम ,लोहा ही लेते रहे ,
फिर भी तो कम हो रहा है,आयरन खूं मगर
काम का,चिंताओं का ,परिवार का,संसार का,
पड़ता ही प्रेशर रहा है हम पे सारी उम्र भर
सौ तरह के प्रेशरों से ,दबे हम हरदम रहे,
बढ़ा फिर भी ब्लड का प्रेशर,बताते है डाक्टर
कारनामे, कितने काले,किये या करने पड़े,
फिर भी सर पर,क्यों सफेदी ,लगी है आने नज़र
जिंदगी हमने खपा दी ,जिनके सुख के वास्ते ,
वो ही हमसे खफा क्यों ,रहने लगे है आजकल
दिल लगाया,दिल मिलाया ,दिल लुटाया ,दिल जला,
खुश हुए तो गम भी झेला ,दिल ही दिल में उम्र भर
बड़े ही दिलेर थे ,दिलवर भी थे दिलदार भी ,
हो गया कमजोर अब दिल ,रहना पड़ता संभल कर
चाल में थोड़ी अकड़ थी ,तन के चलते थे सदा ,
खूब चाले चली हमने,उल्टी, सीधी ,ढाई घर
चलने का अब वक़्त आया है तो चल पाते नहीं,
हमारी कुछ चल न पायी ,उम्र की इस चाल पर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सबसे मीठी बातें की और उम्र भर बांटी मिठास ,
फिर भी देखो बुढ़ापे में ,बढ़ गयी खूं में शकर
दुश्मनो से ता उमर हम ,लोहा ही लेते रहे ,
फिर भी तो कम हो रहा है,आयरन खूं मगर
काम का,चिंताओं का ,परिवार का,संसार का,
पड़ता ही प्रेशर रहा है हम पे सारी उम्र भर
सौ तरह के प्रेशरों से ,दबे हम हरदम रहे,
बढ़ा फिर भी ब्लड का प्रेशर,बताते है डाक्टर
कारनामे, कितने काले,किये या करने पड़े,
फिर भी सर पर,क्यों सफेदी ,लगी है आने नज़र
जिंदगी हमने खपा दी ,जिनके सुख के वास्ते ,
वो ही हमसे खफा क्यों ,रहने लगे है आजकल
दिल लगाया,दिल मिलाया ,दिल लुटाया ,दिल जला,
खुश हुए तो गम भी झेला ,दिल ही दिल में उम्र भर
बड़े ही दिलेर थे ,दिलवर भी थे दिलदार भी ,
हो गया कमजोर अब दिल ,रहना पड़ता संभल कर
चाल में थोड़ी अकड़ थी ,तन के चलते थे सदा ,
खूब चाले चली हमने,उल्टी, सीधी ,ढाई घर
चलने का अब वक़्त आया है तो चल पाते नहीं,
हमारी कुछ चल न पायी ,उम्र की इस चाल पर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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