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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

जवानी का मोड़

         जवानी का मोड़

जब होठों के ऊपर और नाक के नीचे,
                          रूंआली उभरने लगे
जब किसी हसीना को कनखियों से देखने
                             को दिल  करने लगे
जब मन अस्थिर और अधीर  हो ,
                             इधर उधर भटकने लगे 
जब किसी कन्या का स्पर्श,मात्र से ,
                              तन में सिहरन भरने लगे
जब न जाने क्या क्या सोच कर ,
                                तुम्हारा मन मुस्कराता  है
समझलो,आप उम्र के उस मोड़ पर है ,
                                जो जवानी की ओर  जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
                                

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