अधर से उदर तक
मिलना है जिसको ,वो ही तुमको मिलता ,
भले लाख झांको,इधर से उधर तक
बसा कोई दिल में , चुराता है नींदें ,
जाने जिगर वो तुम्हारे जिगर तक
मचलती है चाहें,जब मिलती निगांहे ,
चलता है जादू ,नज़र का नज़र तक
वो बाहों का बंधन ,वो झप्पी वो चुम्बन,
मज़ा प्यार का है,अधर से अधर तक
ये है बात निराली ,हो गर पेट खाली ,
तो भूखे से होता नहीं है भजन तक
न तन में है हिम्मत,भले कितनी चाहत,
नहीं होता तन से फिर तन का मिलन तक
तब होता है चुम्बन और बाहों का बंधन ,
भरा हो उदर और मिलते अधर तब
मचल जाता मन है,मिलन ही मिलन है ,
अधर से उदर तक ,तुम चाहो जिधर तक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मिलना है जिसको ,वो ही तुमको मिलता ,
भले लाख झांको,इधर से उधर तक
बसा कोई दिल में , चुराता है नींदें ,
जाने जिगर वो तुम्हारे जिगर तक
मचलती है चाहें,जब मिलती निगांहे ,
चलता है जादू ,नज़र का नज़र तक
वो बाहों का बंधन ,वो झप्पी वो चुम्बन,
मज़ा प्यार का है,अधर से अधर तक
ये है बात निराली ,हो गर पेट खाली ,
तो भूखे से होता नहीं है भजन तक
न तन में है हिम्मत,भले कितनी चाहत,
नहीं होता तन से फिर तन का मिलन तक
तब होता है चुम्बन और बाहों का बंधन ,
भरा हो उदर और मिलते अधर तब
मचल जाता मन है,मिलन ही मिलन है ,
अधर से उदर तक ,तुम चाहो जिधर तक
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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