दूध और मानव
दूध के स्वभाव और मानव के स्वभाव को ,
एक जैसा बतलाते है
क्योंकि गरम होने पर दोनों उफन जाते है
दूध का उफनना ,चम्मच के हिलाने से ,थम जाता है
और धीरज के चम्मच से हिलाने से,
उफनता आदमी भी ,शांत बन जाता है
दूध ,जब पकाया जाता है ,
तो वह बंध जाता है पर खोया कहलाता है
आदमी भी ,शादी के बाद ,
गृहस्थी के बंधन में बंध जाता है ,
और बस खोया खोया ही नज़र आता है
जैसे दूध में जावन डालने से ,
वो जम जाता है,उसका स्वरुप बदल जाता है
और वो दही कहलाता है
वैसे ही ,पत्नी प्रेम का ,जरासा जावन ,
आदमी के मूलभूत स्वभाव में ,परिवर्तन लाता है
दूध पर ध्यान नहीं दो,
यूं ही पड़ा रहने दो ,तो वो फट जाता है
आदमी पर भी ,जब ध्यान नहीं दिया जाता,
तो उसका ह्रदय ,विदीर्ण हो कर,फट जाता है
दूध से कभी रबड़ी ,कभी कलाकंद,
कभी छेने की स्वादिष्ट मिठाई बनती है
बस इसके लिए,थोड़ी मिठास की जरूरत पड़ती है
उसी तरह,यदि आदमी का ,असली स्वाद जो पाना है
तो आपको बस ,मीठी मीठी बातें बनाना है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
दूसरी पत्नी अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार -पंजाब एन्ड हरियाणा हाई कोर्ट
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*संक्षेप में-*
*दूसरी पत्नी अनुकम्पा नियुक्ति की हक़दार*
*Shalini kaushik law classes*
वर्तमान मामले में बिजली विभाग के लाइनमैन की दो शादियां हुई...
9 घंटे पहले
सही है ,बढ़िया रचना
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