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बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

मै क्या करूं

               मै क्या करूं

पत्नी की सुनता तो 'जोरू का गुलाम'हूँ,
             माँ की सुनता,तुम कहती 'मम्मी के चमचे'
बच्चों को डाटूँ  तो कहलाता हूँ 'जालिम',
              करूं प्यार तो कहती मै 'बिगाड़ता बच्चे'
घर पर रहता तो कहते मै 'घर घुस्सू'हूँ,
                बाहर रहूँ घूमता  'आवारा ' कहलाता
कम खाता तो कहती मै 'कमजोर हो रहा',
                'मोटे होकर फूल रहे' यदि ज्यादा खाता
खर्चा करता तो कहती हो 'खर्चीला 'हूँ,
                 ना करता तो कहती हो 'कंजूस'बहुत मै
मेरी  समझ नहीं आता ,क्या करूं ना करूं ,
                 कोई बताये क्या करना कन्फ्यूज बहुत मै

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

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