दिल की सुन-लोगों की मत सुन
मुझे ज़माना ,अपने अपने ढंग, से समझाता रहता है
लेकिन मै वो ही करता हूँ,जैसा मेरा मन कहता है
मम्मी कहती ऐसा करले,पापा कहते वैसा करले
कहते दोस्त ,संभल कर कुछ कर ,मत तू ऐसा वैसा करले
पडूं बीमार,कोई कहता है,जाओ,डाक्टर को दिखलाओ
कोई कहता ,डाक्टर छोडो,तुम देशी इलाज करवाओ
देता है कोई सलाह कि होम्योपेथी आप दवा लो
कोई कहता किसी सयाने से तुम झाड फूंक करवा लो
कोई कहता ,जा हकीम के पास दवा लो तुम यूनानी
तुम आयुर्वेदिक इलाज लो,तभी बिमारी जड़ से जानी
लोगबाग़ कुछ समझाते है ,छोडो यार दवा का चक्कर
बाबा रामदेव के आसन ,तुमको स्वस्थ रखे जीवन भर
बीमारी में हालचाल जो ,मेरा कोई पूछने आता
तरह तरह की राय बता कर ,सलाहकार मेरा बन जाता
जितने मुंह है,उतनी बातें,कन्फ्यूजन हरदम रहता है
लेकिन मै वो ही करता हूँ,जैसा मेरा दिल कहता है
बच्चे ने स्कूल करलिया ,आगे इसको क्या पढवाना
कितने ही मेरे शुभचिंतक ,देते मुझे सलाहें नाना
यूं कर कोटा भेज इसे तू,आई आई टी की कोचिंग करवा
कोई कहे पी एम टी करवा,इसे डाक्टर अच्छा बनवा
अच्छा जॉब कराना है तो ,तू करवा इसको एम बी ए
जो अच्छी कमाई करवाना ,तो तू बनवा ,इसको सी ए
कोई कहे फोरेन भेज दे,वहां पढाई करना अच्छा
कोई कहे ये मत कर वर्ना ,निकल हाथ से जाए बच्चा
कोई ना कहता है पूछो,कि बच्चे के मन में क्या है
या उसका इंटरेस्ट किधर है,आगे उसको बनना क्या है
हम खुद,कुछ हों या ना हो पर,सलाहकार सबसे अच्छे है
कोई पूछे या ना पूछे,मुफ्त मशविरा दे देते है
दिल की सुन,लोगों की मत सुन,बस इसमें ही सुख रहता है
इसीलिए मै वो करता हूँ,जो भी मेरा दिल कहता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित
-
*रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित*
बचपन से ही गणित से हमारा एक अजीब-सा रिश्ता रहा है। न जाने क्यों, इस विषय
में जितना गहराई से उतरने की कोशिश...
3 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।