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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

आइना

           आइना 
सज संवर कर जब हुई तैयार वो ,
                   देखने  खुद को लगी  ले  आइना 
हम प्रतीक्षा में खड़े  बेचैन है ,
                    और देखो, अब तलक वो आई ना 
खुद से है या आईने से इश्क है,
                     बात अपनी समझ में ये आई  ना 
वो वहां पर और मै हूँ यंहां पर,
                      बहुत चुभती ,और कटे तनहाई  ना             
नहीं मुझको याद ऐसा कोई पल,
                      जब तुम्हारी याद मुझको आई ना 
तरसते है तुम्हारे दीदार को,
                       खुली  आँखें और दिल का आइना 
आते ही जल्दी करोगी जाने की,
                         बात  अपनी इसलिए बन पाई ना 
इस तरह आओ कि जाओ ही नहीं,
                          जिस तरह पहले कभी तुम आई ना 

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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