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बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

सज़ा

आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने 

एक एक पल दफ़ना दिया मैंने
गुलदस्ता यादों का जला दिया मैंने
बात जिस पर वो मुस्कुराती थी 
वोह हर अलफ़ाज़ मिटा दिया मैंने 

मेरी दुनिया तो खाख़ से आबाद हुई 
दिल-इ-आतिश को ही बुझा दिया मैंने 

आज यादों की मज़ार पर आई थी वोह 
मुंह फेर के अपना भुला दिया मैंने 

अब कोई रिश्ता नहीं है दरमियाँ अपने 
अकेलेपन से भी एक रिशा बना लिया मैंने 

आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने....

2 टिप्‍पणियां:

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