आज फिर मौसम सुहाना हो गया है
शुरू तेरा मुस्कराना हो गया है
आज फिर मौसम सुहाना हो गया है
जिंदगी बदली है जब से इस गली में,
शुरू तेरा आना जाना हो गया है
तरसती आँखें तेरे दीदार को,
आरजू बस तुझको पाना हो गया है
दिखा कर हुस्नो अदाये, नाज़ से,
काम बस हमको सताना हो गया है
अब भी आतिश है हमारे जिगर में,
जिस्म का चूल्हा पुराना हो गया है
बारिशों में भीगता देखा तुम्हे,
बेसबर ये दिल दीवाना हो गया है
ऐसी तडफन बस गयी दिल में मेरे,
हँसे खुलके,एक ज़माना हो गया है
क्या बतायें,आजकल अपना मिजाज़,
कुछ अधिक ही आशिकाना हो गया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
793. किरदार
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किरदार
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थक गई हूँ अपने किरदार से
इस किरदार को बदलना होगा
ढेरों शिकायत है वक़्त से
कुछ तो उपाय करना होगा
वक़्त न लौटता है, न थमता है
मुझे ख़ुद को अब रोकना...
3 घंटे पहले
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