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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

आओ हम तुम लड़े

बहुत प्यार कर लिया उमर भर
थोड़ा छुप कर ,थोड़ा खुल कर
वृद्ध हुए अब ,दिनचर्या में ,कुछ परिवर्तन करें
आओ हम तुम लड़े
सिर्फ प्यार ही प्यार ,एकरसता ले आता है जीवन में
कहते है कि नए स्वाद का ,अनुभव होता परवर्तन में
मन में दबी शिकायत सारी ,उगल हृदय हल्का होता है
और झगड़ने बाद ,प्यार का ,मज़ा यार दूना होता है
इसीलिये हम ढूंढ बहाना
कभी कभी बस,ना रोजाना
गलती कोई करे ,दोष पर ,एक दूजे पर मढ़ें
आओ हम तुम लड़ें
घर में हम तुम बूढ़े ,बुढ़िया ,मुश्किल होता समय काटना
वक़्त कटेगा ,चालू कर दें ,एक दूजे को अगर डाटना
झगड़ा कर ,मुंह फेरे सोयें ,अच्छी निद्रा हमें   आयेगी
सुबह उठें ,फिर नयी दोस्ती ,बात रात की भूल जायेगी
मात्र दिखावे की हो अनबन
जीयें हम ,सच्चे हमदम बन
यूं हँसते और खेलते ,जीवन पथ पर बढ़ें
आओ हम तुम लड़े

मदन मोहन बाहेती ;घोटू ' 

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