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रविवार, 25 अक्टूबर 2020

कोरोना के संकट में

हमने कोरोना संकट में ,ऐसा कठिन वक़्त काटा था
दिन में दहशत और रात में ,सपनो में भी सन्नाटा था
एक अजीब खौफ छाया था ,बंद हुई थी सारी हलचल,
मन के सागर में रह रह कर ,उठता ज्वार और भाटा था
महरी ,कामवालियां सब के ,आने पर प्रतिबंध लगा था
घर का काम,मियां बीबी और बच्चों ने मिल कर बांटा था
सब अपनों ने ,अपनों से ही ,बना रखी ऐसी दूरी थी ,
सबने चुप्पी साध रखी  थी ,हर मुख बंधा हुआ पाटा था
पटरी पर से उतर गयी थी ,अच्छी खासी चलती  गाड़ी ,
बंद सभी उद्योग पड़े थे ,अर्थव्यवस्था में घाटा था
पूरी दुनिया ,गयी चरमरा ,ऐसा कुछ माहौल बना था ,
कोरोना के वाइरस  ने ,सबको बुरी तरह काटा था  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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