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शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

झिक झिक किसम का आदमी

इस तरह मुझको सताया मत करो ,
मैं  जरा झिक झिक किसम का आदमी हूँ
अदाओं से यूं रिझायां  मत करो ,
मैं  जरा आशिक़ किसम का आदमी हूँ

मेरी किस्मत में मोहब्बत ही लिखी है
नहीं करना किसी से नफरत लिखी है
भ्रमरों के मानिंद इस खिलते चमन में ,
फूल की और कलियों की सोहबत लिखी है
महक से अपनी लुभाया मत करो ,
मैं जरा भौतिक किसम का आदमी हूँ
इस तरह मुझको सताया मत करो ,
मैं जरा झिक झिक किसम का आदमी हूँ

जिस पे दिल आया उसे अपना लिया
लगन जिससे लगी ,उसको पा लिया
मैं मोहब्बत बांटता रहता हूँ  हरदम ,
बैर कोई से ,कभी  भी    ना किया
प्राण की ,की प्रतिष्ठा पाषाण में ,
मैं जरा धार्मिक किसम का आदमी हूँ
इस तरह मुझको सताया मत करो ,
मैं जरा झिक झिक किसम का आदमो हूँ

आज में जीता ,फिकर कल की नहीं है
फांका मस्ती तो मेरी आदत रही है
सुनता तो मैं ,बात सबकी ही हूँ लेकिन ,
करता वोही ,दिल जो कहता है,सही है
मैं  नहीं फ़कीर हूँ कुछ लकीरों का ,
मैं जरा मौलिक किसम का आदमी हूँ
इस तरह मुझको सताया मत करो ,
मैं  जरा झिक झिक किसम का आदमी हूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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