खर्राटे
नींद में गाफिल जो रहते,होंश है उनको कहाँ
उनके खर्राटों को सुन कई,लोग होते परेशां
खुद तो सोते चैन से और दूसरों को जगाते
आदमी को अपने खर्राटे नहीं है सुनाते
इस तरह ही दूसरों की बुराई आती नज़र
लोग अपनी बुराई से,रहा करते बेखबर
झांक कर के देखिये अपने गरेंबां में कभी
नज़र आ जाएगी तुमको,स्वयं की कमियां सभी
कमतरी का अपनी सब,अहसास जिस दी पायेंगे
खर्राटे या बुराई सब खुद बखुद मिट जायेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1416-दीक्षांत समारोह : आडंबर का अंत
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*विजय जोशी*
*पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल *
* शिक्षा एक तपस्या है। साध्य है, साधन नहीं। इसे पूरे मन से समर्पण के
साथ जीने का मानस ही मस्तिष्क क...
1 घंटे पहले
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