दो
मेरे साथी दो मिनिट रुको ,
दो ध्यान जरा अपने मन में
कितना महत्त्व वाला है यह ,
दो का अक्षर जन जीवन में
दो के दो मतलब होते है,
एक गिनती का,एक अक्षर का
दो दिन की दुनिया में आये ,
जीवन पाया है दो पल का
दो हाथ दिए,दो पैर दिए,
दो आँखें दी,दो कान दिए
दो दो के जोड़े से हमको ,
तुमने सबकुछ ,भगवान दिए
दो हाथों से ताली बजती ,
दो मिल कर दोस्त कहाते है
दो हाथ नमस्ते करते हैं,
बोझा दो हाथ उठाते है
जब दो दो हाथ मिलाने को,
हम प्रेम प्रतीक मानते है
तो दो दो हाथ दिखाने को,
झगड़े की लीक मानते है
हर एक काम में जरुरत है ,
दो हाथ काम में लाने की
दो हाथों के ही पौरुष ने ,
बदली रफ़्तार जमाने की
दो बाहों से बढ़ कर जग में ,
क्या कोई सहारा होता है
दो होठों की लाली से बढ़ ,
क्या कोई नज़ारा होता है
दो आँखें जब मिल जाती है,
जग खोयी खोयी कहता है
दो मोती ढलका देती है,
जग रोई रोई कहता है
दो आँखे जब लड़ जाती है ,
तो जग कहता है प्यार हुआ
दो आँखों के झुक जाने से ,
कितनो का ही उद्धार हुआ
उनने जब दो आँखे बदली ,
तो ह्रदय हमारा टूट गया
दो आँखें बंद हुई समझो ,
दुनिया से रिश्ता छूट गया
अच्छे अच्छे नाचा करते,
आँखों के एक इशारे पर
सारी दुनिया मरती ,है दो,
नज़रों के एक नज़ारे पर
इंसान अकेला होता है तो,
उसे अधूरा कहते है
पति पत्नी मिल दो बनते है,
तो उसको पूरा कहते है
इंसान,जानवर,इन दो में ,
केवल अंतर है बस दो का
चौपाया चार पाँव का है ,
इंसान मगर दो पांवों का
दो पैर सहारा जीवन के ,
पैरों बिन जीवन झूंठा है
तो पैरों ने ही थिरक थिरक ,
कितनो का ही तप लूटा है
दो सलाई बुनती स्वेटर ,
कैंची काटे दो टांगों से
बन जाते मिस्टर मेडम की,
दो मीठी मीठी बातों से
बीबी में दो 'बी'होते है ,
पापा में दो 'पा' होते है
जो हरदम 'हाँ' करते हैं उन,
नाना में दो 'ना' होते है
और गणित का एक नियम,
दो रिण मिल कर धन होते है
दो चोटी,उसमे दो मोती ,
क्या प्यारे फेशन होते है
उनके दो पैरों की शोभा ,
दो बद्दी वाली चप्पल है
दो पहियों से गाडी चलती ,
दो से चलते स्कूटर है
जब दो पट हट जाते है तो ,
दरवाजा खुल जाता है
नीचे दो,ऊपर एक हुआ ,
वो पाजामा कहलाता है
दो मिले अगर नौ साल बाद,
दो,नौ दो ग्यारह होते है
दिन दूनी करे तरक्की जो ,
उसके पौबारह होते है
धोका देना,दो,खा लेना ,
दौलत ये दो लत देती है
दो मीठी बात बना लेना ,
इज्जत ये आदत देती है
फरवरी दूसरा महीना जो,
सब से कम दिन वाला होता
तनख्वाह पूरी मिलती हर दिन,
ज्यादा कीमत वाला होता
कोई कहता है चन्दा दो,
कोई कहता है धंधा दो
बढ़ गया भाव है राशन का ,
जनता कहती ,कर मंदा दो
ये कहते हमें प्रमोशन दो ,
वो कहते है प्रोडक्शन दो
नेताजी आओ भाषण दो ,
हमको झूंठे आश्वासन दो
तो दो का चक्कर ऐसा है
जो सबके मन को भाता है
इसीलिये दो बच्चों का,
परिवार सुखी कहलाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'