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शनिवार, 4 जनवरी 2014

गोल गप्पे

              गोल गप्पे

कहीं पर है 'गोलगप्पा' ,तो कहीं 'पानीपताशा'
कहीं 'पानीपुरी' है तो  ,कहीं वो 'पुचका' कहाता
वही फूली,क्षीण काया ,रसीला  पानी भरा है
कभी खट्टा और मीठा ,तो कभी वह चरपरा है
वही हड्डी ,मांस मज्जा से मनुज काया बनी है
रक्त सबका लाल ही है ,फिर अलग क्यों आदमी है
हिन्दू मुस्लिम धर्म,पानी ,खट्टा मीठा स्वाद ज्यों है
एक से सब,धर्म पर फिर,व्यर्थ यह विवाद क्यों है ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

पति परमेश्वर

       पति परमेश्वर

बचपन से ही,बार बार
हम में भर दिए जाते है ये संस्कार
सच्चे मन से,
आराधन से और पूजन से ,
जो भी भगवान  को प्रसन्न करता है
परमेश्वर ,उसे वर देता है
 और उसकी हर इच्छा को पूरी करता है
तो बस एक बार परमेश्वर को पटा  लो
और फिर ,जो चाहो ,काम करा लो
इसी शिक्षा से अभिभूत होकर ,
औरतें वर पाती है
 पति को परमेश्वर कहती है 
और अपना हर काम कराती रहती है

घोटू

कौन आया ?

     कौन आया ?

सोई थी मैं ,द्वार किसने खटखटाया
                            कौन   आया?
पा अकेला ,सताने मिला मौका
याद तुम्हारी पवन का बनी झोंका
और उसने हृदयपट को थपथपाया
                            कौन आया ?
मूर्त होकर ,मिलन के सपने सुहाने
लगे उचटा ,नींद से मुझको  जगाने
बावरा,बेसुध हुआ,मन डगमगाया
                           कौन आया?
मधुर यादें,मदभरी  बौछार बन के
भिगोने मुझको लगी है प्यार बन के
बड़ी ठिठुरन ,मिलन को मन,कसमसाया
                                    कौन आया ?
या कि फिर विरहाग्नि की तीव्र लपटें
आगई ,मुझको जलाने ,सब झपट के
मुझे तो हर एक मौसम ने सताया
                            कौन आया ?
रात पूनम की लगी मुझको अमावस
बदलती करवट रही मैं ,मौन बेबस
चमक तारों ने मुझे ढाढस  बंधाया
                             कौन आया ?

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

मेरी तेरी ना बनती पर .. .

      मेरी तेरी ना बनती पर .. . 

कहा  बाल्टी   से  कूए  ने ,कि तू मुझे उलीच रही है
जनता खुश तू प्यास बुझाती ,सूखा उपवन सींच रही है
मेरी संचित जलनिधि को तू ,बार बार करती है खाली
मै चुपचाप सहा करता हूँ और  तू   देती रहती गाली
मैं जब चाहूँ ,तुझे डुबो दूं ,तुझे पता है मेरी  ताकत
लेकिन मेरी मजबूरी से बहुत बढ़ रही तेरी हिम्मत
अब लगता है,मैं मूरख  था या फिर मेरी थी नादानी
मैंने अब तक ,केवल ,अपने अपनों को ही बांटा पानी
मोटर पम्प ,हाथ में लेकर ,लोग खड़े है,लिए इरादे
पम्प लगा ,पानी उलीच दें,और कीचड में कमल खिला दें
पड़ा हुआ मैं ,शंशोपज में ,बड़ी राजनैतिक उलझन है
मुझको वो करना पड़ता जो ,नहीं मानता ,मेरा मन है
बड़े विकट हालात हो रहे ,आने को मौसम तूफानी
जोड़ तोड़ कर ,कैसे भी है ,मुझको अपनी साख बचानी
तभी बड़प्पन ,दिखा रहा मैं ,मरता भला क्या नहीं करता
तेरी मेरी ना  बनती पर ,मेरे बिना  काम ना चलता

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

गुरुवार, 2 जनवरी 2014

नया साल - नयी नज्म



सबकुछ न बदले
पर इतना तो बदले,
कि इन्सान अपनी ही
फितरत न बदले...
मौसम न बदले
तो तासीर बदले,
हवाओं का रुख और
खुशबू तो बदले...
जीना न बदले
मरना न बदले
मगर बीच की जंग
का मंजर तो बदले...
रिश्ते न बदलें
जमाना न बद्ले
मगर नकली दिखना
दिखाना तो बदले...
नेता न बदलें
सियासत न बदले
जनता का बातों
में आना तो बदले...
कहते हैं चर्चित
नये साल पर ये
कि यारों का यूं
मुस्कुराना न बदले...

- VISHAAL CHARCHCHIT

बुधवार, 1 जनवरी 2014

झूंठ बोलिये


      झूंठ बोलिये

यदि जीवन सुख से जीना है
हंसी खुशी का रस पीना है
ना मालूम किसी के दिल को क्या चुभ जाए ,
मन की बातें ,मन में रखिये ,नहीं खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये! झूंठ बोलिये!
सच्चे बोल कड़े लगते है
झूंठे बोल भले लगते है
मौका देखो,वैसा बोलो
चाहे ऐसा वैसा   बोलो
जरुरत है तो डट कर बोलो
मन के भाव सिमट कर बोलो
थोडा उलट पुलट कर बोलो
डर है,पीछे हट कर   बोलो
लेकिन ये है जो भी बोलो
सबके मन में मिश्री  घोलो
आप पाओगे ,ये दुनिया काफी भोली है
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
वो जो अगर सामने आये
आँख मिलाये या शरमाये
हो सकता है तुमसे पूछे
क्योंजी कैसी लगती हूँ मैं ?
अच्छा तुमको नहीं लगा हो
भले पाऊडर पोत  रखा हो
चुपड़ी हो गालों पर लाली
नज़र आरही गर्दन काली
पर जो करना उन्हें सुखी है
कहो आप तो चंद्रमुखी   है
झूंठी तारीफ़ करी,प्यार के बीज बोलिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
 अगर पड़ोसन घर आती है
चीजें मांग न लौटती   है
चीज लौट जब भी आती है
बिगड़ी ही पायी ही  जाती है
इसीलिये तुम ऐसा  करिये
झूंठ बोलने में ना डरिये
अब मांगे  तो यही कीजिये
कोई बहाना   बना  दीजिये
बिगड़ गयी या टूट  गयी है
समझो आफत छूट  गयी है
चीज भी बची ,झंझट से भी दूर हो लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
भैया ये  तो प्रजातंत्र है
राज्य झूंठ का यत्र तत्र है
झूंठे है भाषण,आश्वासन
झूंठ बोलने वाला ,शासन
झूंठा धंधा  ,चोर बाज़ारी
झूंठे है नर,झूंठी   नारी
रहो रोम में रोमन जैसे
वरना काम चलेगा कैसे
तभी तरक्की कर जाओगे
जबकि झूंठ को अपनाओगे
देख हवा का रुख,उसके ही साथ हो लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये !झूंठ बोलिये!
जीवन जियो हंसी खुशी का
आज ज़माना चापलूसी का
चापलूसी या मख्खनबाजी
पाकर सब ही होते  राजी
ये तुम तब ही कर सकते हो
माहिर झूंठ बोलने में हो
साहब आगे पीछे डोलो
हाँ को हाँ,ना को ना बोलो
अगर झूंठ पर ना लगाम है
जिव्हा सोने की खदान है
मतलब पूरा करिये,सुख के द्वार खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
केवल आप युधिष्ठिर होकर
सत्य सत्य का रोना रोकर
जी न पाओगे ,इस दुनिया में
आज ज़माना बदल गया है
अब सौ क्या ,लाखों कौरव है
झूंठ बोलना ही गौरव है
और युधिष्ठिर भी मौके  पर
झूंठ युद्ध में बोल गये  पर
कहा गया अश्वस्थामा मर
यह न बताया ,नारी या नर
तो जब मतलब आये,मन की हिचक खोलिए
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!
इस जीवन में कितने सारे
ऐसे मौके आते प्यारे
झूंठ बोलना ही है पड़ता
वरना सारा काम बिगड़ता
तुम्ही बताओ,दशरथ राजा
झूंठ बोलते ,अगर ज़रा सा
केकैयी के वचन भुलाते
अपने वादे से टल जाते
तो क्या चौदह बरस राम जी
खाक  छानते फिर जंगल की
सच के खातिर,कितने झंझट मोल ले लिये
झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!झूंठ बोलिये!

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

चमचा

     चमचा

दुनिया देखी ,कुछ ना सूझा
एक साहब ने मुझसे पूछा
यार,अजब है दुनियादारी
चक्कर खाती ,अकल हमारी
वही तरक्की कर पाता है
जो कि चमचा कहलाता है
होता अरे तमाशा क्या है
 चमचे की परिभाषा क्या है 
ना  मैं अफसर,ना मैं नेता
बोलो फिर क्या उत्तर देता
किन्तु समझ में जो भी आया
मैंने उसको साफ़ बताया
'च' से चुगलखोर  हो जाता
'म'से 'मख्खनबाज' कहाता
'चा'से 'चापलूस' होता है
सब गुण मिल चमचा होता है
या फिर'च'से चतुर जानिये
और 'म'से 'मक्कार'मानिये
'चा'से जो 'चालू'होता है
समझो वह 'चमचा' होता है
जो मुंह लगा हुआ होता है
बस वो ही चमचा होता है
चमचा होता सुख का दाता
जो ना केवल हमें खिलाता
बल्कि परसता भी है जाता
काम पकाने के भी आता
सरे आम ,सुन्दर से सुन्दर
चाहे नारी हो चाहे नर
सबका मुख चुम्बन करता है
चमचा वह हिम्मत रखता है
और बड़े से बड़े कड़ाहों ,
के भी गरम गरम पकवानो,
को वह हिला दिया करता है
सब कुछ मिला दिया करता है
चमचे में 'चम' लगा यार है
'चम 'में काफी चमत्कार है
जिसका वह होता है चमचा
'चम 'उसको देता है चमका
और चमचे का अंत 'मचा'है
देता उसकी धूम मचा  है
बेलन को पिसना पड़ता है
चकले को घिसना पड़ता है
तवा अंगीठी पर जलता है
सबको कुछ करना पड़ता है
चमचा ना कुछ करता धरता
लेकिन फिर भी उसको मिलता
पका पकाया माल ताल है
यह सब चमचे का कमाल है
मालिक के मुख में पहुंचाता
सारा यश है खुद पा जाता
और जो कुछ चिपका रह  जाता
वह भी चमचे का हो जाता
समझदार कुछ खानेवाले
चमचे को अपनाने वाले
बिना हाथ से अपने छूकर
बिलकुल शुद्ध ,पवित्तर रह कर
जो खाना है ,खा लेते है
अपना काम बना लेते है
चमचा उसके हाथ लगा है
और इशारों पर चलता है
उसके भाग्य सदा खिलते है
सब पकवान उसे मिलते है
पहले जिसके पास कभी भी
जितनी अधिक जमीं होती थी
वही बड़ा माना जाता था
जितना ज्यादा धन पाता था
अधिक औरतें रख पाता था  
बड़ा आदमी कहलाता था
किन्तु आज के इस समाज मे
ज्यादा चमचे रखे पास में
वही बड़ा माना जाता है
बड़ा आदमी कहलाता है
क्योंकि अगर चमचे अच्छे है
तो धन भी है ,बड़े मजे है
तो जमीन भी मिल जाती है
और औरतें भी आती  है
सच,चमचे में बड़ा तेज है
अंगरेजी में एक फ्रेज़ है
भाग्यवान वो होता, मुंह में
रख चांदी का चमचा ,जन्मे
भाग्यवान वह क्यों कहलाता
चमचा मुंह में रख कर आता
अब चमचों के भी चमचे है
हर चमचे के बड़े मजे है
मालिक के संग आते जाते
चमचे भी है पूजे जाते
चमचे रखना ही गौरव है
चमचे रखना ही  वैभव है
ऐश्वर्य है और बड़प्पन
होती है चमचो की खन खन
आज तरक्की की सीढ़ी पर
चमचों की ही भीड़ रही बढ
चहल पहल है तो चमचों की
चमक दमक है तो चमचों की
इसीलिये तुम मेरी सुनिये
चमचे बनिये !चमचे बनिये !

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
  


मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

नमस्कार


         नमस्कार

आगे पीछे 'नर'है जिसके ,और बीच में 'मस्का'है
नमस्कार की परिभाषा ये सबसे अच्छा चस्का है
दोनों हाथ जोड़ कर उनको ,सिर्फ यही बतलाना है,
अजी आप इन हाथों में ,सब काम हमारे बस का है

घोटू

मख्खन महिमा

             मख्खन महिमा

      नज़रें मत इधर उधर मारो
      यूं ही मत अपना  सर  मारो
       कुछ काम नहीं,ना झक मारो  
      या बैठे बैठे  गप्प मारो
       यदि जीवन सफल बनाना है
       कुछ लेना है ,कुछ पाना है
तो मेरी नेक सलाह सुनो,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो ,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

है बड़े तपस्वी,सिद्ध,महान ,महिमा है मख्खन  भैया की
सारी गोपी दीवानी थी ,उस मख्खन मार कन्हैया की
जिस को मख्खनबाजी आती ,वो निज मंजिल को पायेगा
पंडितजी को मख्खन मारो तो स्वर्ग तुम्हे मिल जाएगा
गर 'बटरिंग'करना आता है और 'बटर 'तुम्हारा 'प्योर'है
प्रोफ़ेसर पर अप्लाय करो,तो फर्स्ट डिवीजन 'श्योर '  है
पत्नी  को जो मख्खन मारो,पकवान मिलेंगे खाने को
सम्पादक को मख्खन मारो,अपनी कविता छपवाने को
चाहे चमचा बन कर मारो,चाहे कड़छा बन कर मारो
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

मख्खनबाजी सीखो साथी यदि जीवन में कुछ करना है
यदि बातें करना आती है तो मुख सोने का झरना है
मख्खन का रिश्ता है धन से,जलती जीवन की ज्योती है
मख्खन के पीछे खन,खन है ,खन खन रुपयों से होती है
जब जमा दूध हम मथते है तो उससे मख्खन आता है
और जब हम मख्खन मलते है ,तो फिर उससे धन आता है
जितना ज्यादा होगा मख्खन,उतनी ज्यादा होगी खन खन
जितनी ज्यादा होगी खन खन ,उतना अच्छा होगा जीवन
मैं झूंठ नहीं सच कहता हूँ,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो ,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

अंगरेजी भाषा में मख्खन को 'बटर 'पुकारा जाता है
लगता है 'बटर' और 'बेटर ',इन शब्दों में कुछ नाता है
यदि 'बेटर 'बनना है तुमको ,तो 'बटर' काम में लाओ तुम
'बटरिंग'का असर निराला है,अपने सब काम बनाओ तुम  
मख्खन लगने से चेहरे पर ,कुछ ऐसी रौनक आती है
ऐसा चिकनापन छाता है, रंगत ही बदली जाती है
जैसे मख्खी याने कि'फ्लाय 'पर अगर 'बटर 'लग जाती है
तो 'बटर फ्लाय' हो जाती है,याने तितली बन जाती है
तो छोडो सारी खटर पटर ,अब 'बटर 'काम मे लो प्यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

यह बात सत्य है एक बार ,जिसको मस्खा लग जाता है
तो फिर मख्खन लगवाने का ,उसको चस्का लग जाता है
ये सेक्रेटरी या फिर पी ऐ ,कुछ लोग किसलिए रखते है
मख्खन की आदत होती है,ये उनसे मख्खन चखते है
'यस सर'यस सर'या जी हज़ूर 'का टॉनिक पिया करते है
जो मख्खन चिपका रह जाता ,खा चमचे जिया करते है
कितने ही लोग पनपते है ,यूं हंसी खुशी चमचे बन के
आजादी के बाद हो गए ,भाव दस गुने  मख्खन के
बढ़ रही खूब मख्खन बाजी ,स्पष्ट बात ये है प्यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,'मख्खन मारो!मख्खन मारो!

यदि तुमने  मख्खन ना  मारा ,तो समझो जीवन फीका है
पर याद रखो कि मख्खन बाजी का भी एक तरीका  है
साहब को यदि खुश करना है ,खिदमत में उनके साथ रहो
यदि वो जो दिन को रात कहे तो तुम भी दिन को रात कहो
साहब को फिर सलाम करना,पहले टॉमी को सहलाओ
उनके घर के सब काम करो,बीबी बच्चों को टहलाओ
बस साहब खुश हो जायेंगे ,तो समझो फिर  बलिहारी है
शीघ्र प्रमोशन होने की ,पहली रिकमंड तुम्हारी है
सारे रस्ते खुल जायेंगे ,मत प्यारे तुम हिम्मत हारो
यदि कुछ करके दिखलाना तो मख्खन मारो!मख्खन मारो!

पहले दूध दही की नदियां बहती थी ,अब क्या कम है
अब दूध दही सबका मंथन,केवल मख्खन ही मख्खन है
दुनिया के चप्पे चप्पे में ,मख्खन की महिमा मोटी है
मख्खन मारा तो स्वाद अधिक ,हो जाती प्यारे रोटी है
मख्खन के चिकनेपन पर तो ,हर चीज फिसलने लगती है
बन जाते है सब काम,दाल तुम्हारी गलने लगती  है
तुम चमक जाओगे दुनिया में,यदि नित मख्खन की मालिश हो
सब काम सिद्ध हो जायेंगे,यदि मख्खन ,शुद्ध ,निखालिस हो
मैंने आजमा कर देखा है,मुझ पर विश्वास करो यारों
यदि कुछ करके दिखलाना तो,मख्खन मारो!मख्खन मारो!

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

२०१४ का चौहदवीं का चाँद

         २०१४ का चौहदवीं का चाँद
                         १

हमने पत्नी से कहा ,आया है नव वर्ष
बहुत बढ़ी मंहगाई है ,खाली मेरा  पर्स 
खाली मेरा पर्स ,तरस तुम इस पर खाओ
बंद करो फरमाइश ,ये लाओ ,वो लाओ
सन 'तेरह 'में ,तेरा तुझको किया समर्पित
अब जो मेरा ,वो तेरा  यदि  रखा  सुरक्षित
                           २ 
पत्नी बोली बदलते बरस, न बदले आप
तेरह बीता ,अब चलें ,हम चौदह के साथ
हम चौदह के साथ ,पुराणों की ये गाथा
निकले चौदह रत्न ,उदधि जब गया मथा था
मुझे दिलाना ,चौदह रत्नो वाला गहना
चाँद चौहदवीं का तुम मुझको हरदम कहना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

A VERY VERY HAPPY NEW YEAR TO YOU AND YOUR FAMILY

सोमवार, 30 दिसंबर 2013

वादा -चाँद तारे तोड़ने का

        वादा -चाँद तारे तोड़ने का

बीबी बोली ,भरते थे दम ,मेरी चाहत के लिए,
आस्मां से चाँद तारे ,तोड़ कर ले आओगे
बड़ी बातें बनाते थे ,दिखाते थे हेकड़ी ,
मांग मेरी ,सितारों से भरोगे ,चमकाओगे
और अब मैं मांगूं कुछ तो,टालते हर मांग को,
और एक अखरोट तक भी,नहीं तुमसे टूटता
हमने बोला ,हमने जबसे ,शादी की है आपसे,
चाँद तारों की कवायत से न पीछा छूटता
शादी की थी ,तब भी तुमसे ,सात थे वादे किये,
निभाने को जिनके चक्कर में गुजारी ,जिंदगी
आदमी फंस जाता है जब ,गृहस्थी के जाल में,
बैल कोल्हू की तरह ,कटती बिचारी   जिंदगी
फंसता है वो ,चिंताओं के जाल में कुछ इसतरह ,
बाल उड़ते और सर पर, चाँद है आता उतर
इतनी बढ़ती जा रही है,आपकी फरमाइशें ,
आँखों आगे ,दिन में आने लगते है तारे नज़र

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 28 दिसंबर 2013

डाट का ठाठ

        डाट  का ठाठ

एटम के युग में तलवार नहीं चल सकती
लेकिन कमजोरों की दाल नहीं गल सकती
हमें नहीं तलवार ,छुरी ,कुछ और चाहिए
वह है केवल ,इस जुबान में, जोर चाहिए
जोर कि इतना जोर ,ज़माना हिम्मत हारे
अरे और तो और ,काँप जाए दीवारें
जग में आगे बढ़ने की तकनीक यही है
कमजोरों को ,डट कर डाटो ,ठीक यही है
अफसर आगे पर भीगी बिल्ली बन जाओ
मीठी बातें करो ,पोल्सन खूब लगाओ
जो समाज में तुम्हे बड़ा कहलाना है तो
मेरी मानो बात , दोस्तों अब भी    चेतो
चालू करो जुबान,मुंह से डाट हटाओ
बात बात पर सबको डट कर डाट लगाओ
ये दुनिया दब्बू है ,और दबा दो ,थोडा
पिचकेगी ,यदि तीर डाट का तुमने छोड़ा
एक डपट की लपट ,कपट को सपट करेगी
झंझट की सारी बातें ,झटपट  सुलझेगी
डबल बना देगी तुम्हारे ठाठ बाट  को
देवी समझो,डेली पूजो ,आप डाट को
करो डाट की सेवा ,डिप्टी बन जाओगे
रिश्वत के भी ,फिफ्टी फिफ्टी बन जाओगे
प्रोफ़ेसर हो ,तो शिष्यों पर,धोंस  पड़ेगी
ओफिसर हो ,तो तुम्हारी  पोस्ट बढ़ेगी
अगर पति हो तो पत्नी का प्यार मिलेगा
और ससुर के घर हो तो सत्कार मिलेगा
इसीलिये कहता हूँ सबको डट कर डाटो
लगे मार से डर तो पीछे हट कर   डाटो  
मगर डाटना ,एक मात्र कर्तव्य आपका
ये प्यार आदर्श निराला ,भव्य आपका
जैसे डाट लगा देते हैं ,हम बोतल पर
अंदर वाली चीज नहीं आ सकती बाहर
ठीक उस तरह डाट लगा लोगों के मुंह पर
हो निश्चिन्त,तान खूंटी ,सोवो जीवन भर
ऐसा डाटो ,कि बेचारा  चूं  न कर सके
ब्यूटी तब है,मरना चाहे,पर न मर सके
सुने आपकी डाट उसे आ जाए पसीना
रौब नहीं तो फिर दुनिया में कैसा जीना
डाट नहीं ,मिस्टर ये जादू का डंडा है
गरम बनो खुद ,तो ऊपर वाला ठंडा है
सुनो साथियों,यदि बच्चों के बाप है
उसे प्यार जतलाते तो कर रहे पाप है
क्योंकि उम्र भर ,उसे प्यार ना,डाट मिलेगी
और प्यार की आदत उसको आफत देगी
बना जूनियर ,ढीठपना ही काम करेगा
और सीनियर बनने पर वह डाट सकेगा
इसीलिये तुम उसे अभी से ठीक बनादो 
डट कर डाटो ,डाट डाट कर,ढीठ  बनादो
मुंह पर डाटो ,भले उसे तुम चाहो ,जी से
सुनो,डाटना चालू कर दो,आज ,अभी से  

ताबीज -गंडा

          ताबीज -गंडा
    (एक नुस्खा- सड़क छाप )

भाइयों और दोस्तों,ठहरो ज़रा ,बस मिनिट भर
मैं   न कोई वैद्य हूँ,ना हकीम ,ना ही डॉक्टर
आप जैसा बनाया ,भगवान का ,मैं  आदमी
हाथ थे ,दो पैर लेकिन एक थी मुझमे कमी
क्या बताऊँ ,दोस्तों ! मैं इश्क़ का बीमार था
लाख की  कोशिश भले ही,मैं मगर लाचार था
वैसे था शादीशुदा मैं , किन्तु फिर भी रोग था
मइके में पढ़ती थी बीबीजी ,उन्हें ये शौक था
हिज्र में हालत ये बिगड़ी ,हड्डी हड्डी मांस ना
जिंदगी क्या जिंदगी है ,जब तलक रोमांस ना
तो अजीजों ,बोअर होकर घूमने को हम चले
हिमालय की कन्दरा में ,एक बाबाजी मिले
बोले बेटा जानता हूँ, तेरे दिल की बात मैं
नहीं घबरा ,दौड़ कर ,आयेगी बीबी पास में
एक नुस्खा दिया,मेरी दूर  चिंता  हो गयी
बताता हूँ आप सबको, दाम कुछ लूंगा नहीं
याद घरवाली की अपनी ,जो सताये रात दिन
बांधलो अपने गले में ,अपनी बीबी का रिबिन
सरल नुस्खा है किसी चतुराई की जरुरत नहीं
रिबिन जो बाँधा गले में,टाई  की जरुरत नहीं
ट्राय करके देखिएगा ,कामयाबी  पाएंगे
कच्चे धागे से बंधे ,सरकार चले  आयेंगे
मगर मेरे दोस्तों जो अगर बीबी दूर   हो
आप उनका रिबिन पाने में अगर मजबूर हो
चिंता की जरुरत नहीं ,आशा रखो,धीरज धरो
अपनी बीबी का रिबिन मैं बेचता हूँ ,दिलवरों
साधू का वरदान है ये ,होगा बिजली सा असर
दाम सस्ता ,सिर्फ लागत ,रुपय्ये में वार भर 

डोनेशन तो बनता है

         डोनेशन तो बनता है

आसाराम और नारायण स्वामी
बाप और बेटे,संत,नामी गिरामी
अवांछित कर्मो के फेर में
दोनों बंद  है जेल में
टी वी पर उनके कारनामे आ रहे थे
और ये दोनों ,काफी फूटेज खा रहे थे
रोज रोज उनकी नयी पोल खुल रही थी
बचीखुची इज्जत भी मिटटी में मिल रही थी
ऐसे समय में बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा
और रोज की बदनामी से पीछा छूटा
क्योंकि पांच राज्यों में चुनाव की घडी आगयी
और टी वी पर चुनाव की ख़बरें छागयी
और फिर कुछ  ऐसे बदले हाल
टी वी पर छागये आम पार्टी के केजरीवाल
अब टी वी वालों के पास थे इतने समाचार
कि टाइम ही नहीं था ,सुनाने को इनके हालचाल
इन दोनों तथाकथित संतो को,
कहना चाहिए ,केजरीवाल का शुक्रिया
रोज रोज होती बदनामी से बचा लिया
 इसके लिए ,वो अगर,
 केजरीवाल के अहसानजदा है
तो उनका,अपनी अकूत दौलत में से ,
आमपार्टी के लिए ,थोडा डोनेशन तो बनता है

 मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

दो छोटी कवितायें-पत्नीजी को समर्पित

      दो छोटी कवितायें-पत्नीजी को समर्पित
                             १
               भगवान का  प्रसाद
 
मिलता प्रसाद प्रभू का, हम हाथ में लिये
हम खा लेते चुपचाप,बिना चूं चपड़ किये
भगवान का परसाद,हमेशा ही स्वाद है
अमृत छुपा है उसमे और आशीर्वाद  है
भगवान के परसाद सी होती है बीबियाँ
जिसको भी जैसी मिल गयी,वैसा ग्रहण किया  
उसमे न कभी भी कोई तुम नुक्स निकालो
श्रद्धा से या मजबूरी से,जैसी हो ,निभालो
                       २
          जलने लगी है रोटियां
वैसे ही बड़ी प्यारी सी ,बीबी हमें मिली
दिन दूनी रात चौगुनी ,खूबसूरती खिली
सब कुढ़ने लगे ,हो गयी सुन्दर वो इस कदर
जलने लगी है रोटियां भी उनको देख कर
जादू ये उनके हुस्न का ,करता कमाल है
नित दूध की पतीली में ,आता उबाल है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मैं खोखली सी हंसी हो गया हूँ

        मैं खोखली सी हंसी हो गया हूँ

बुढ़ापे में हालात ,हुए इतने बदतर
परेशान रहता हूँ,दुखी और परबस ,
नहीं चाहता हूँ ,मगर फिर भी बरबस ,
                   मैं गमजदां ,गमनशीं  हो गया हूँ
हजारों है दिक्कत,हजारों है  झंझट
जिधर देखता हूँ,परेशानी ,खटपट
टूटा मेरा दिल,बड़ा ही है आहत ,
                     विधवा की ज्यों,बेबसी हो गया हूँ
बदलते ये मौसम,सुहाते न पलभर
किया सर्दियों ने ,बहुत मुझको बेकल
नहीं छूटते  है ,रजाई और कम्बल
                     मैं  अब इस कदर ,आलसी हो गया हूँ
मुझे वक़्त ने है,सताया ,झिंजोड़ा
मेरे अपनों ने ही,मेरा दिल है तोड़ा
परेशानियों ने कहीं का न छोड़ा
                       मैं खोखली सी ,हँसी  हो गया हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मालिश

          मालिश

हमने मालिश की बदन पर ,तेल से बादाम के
लगे हटने ,झुर्रियों के ,जाल थे जो चाम पे
और चेहरा भी हमारा ,बला का रोशन हुआ ,
थे निकम्मे अब तलक ,अब आदमी है काम के

घोटू

भागो भागो -शेर आया

          भागो भागो -शेर आया

शेर आया ,शेर आया,
भागो भागो ,भागो भागो,
 गीदड़ों के घरों में ,हड़कम्प हुआ व्याप्त है
दफतरों में जो थे चोर
चाहते थे मोर मोर
 होनी ऐसे लोगों की अब ,शीध्र ही शिनाख्त है 
फाइलें है फाड़ रहे
कागज़ निकाल रहे ,
पोस्टिंग मलाईदार ,जिन्हे अभी प्राप्त है 
इधर उधर भाग रहे
ट्रांसफर  मांग रहे
ऐसे भ्रष्टाचारियों को ,करना  समाप्त है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'               

गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

आयोग और योग

        आयोग और योग

कितने ही आयोग लाओ,योग पर यही ,
                     अबके नहीं सहयोग मिलेगा चुनाव में
ऐसे किये है जिंदगी भर आपने करम,
                       अनुराग नहीं,रोग  मिलेगा  चुनाव में
मुश्किल से ही ये कहीं ,कभी तैर सकेगी,
                         तुमको पता ना छेद कितने हुए नाव में
भोगा है तुमने राज सुख,जनता ने भोग दुःख,
                          सत्ता से भाग जाओगे ,अबके चुनाव में

घोटू

सात सौ लीटर पानी

       सात सौ लीटर पानी

पानी भरने के लिए ,लम्बी सी कतार
अपने अपने खाली डिब्बे लिए ,
लोग कर रहे थे ,अपनी बारी का इन्तजार
दो महिलायें,उम्र में थोड़ी बड़ी
बातें कर रही थी,भीड़ में खड़ी खड़ी
अब शायद कम हो जायेगी पानी की परेशानी
क्योंकि अब जीत गयी है 'झाड़ू',
हमको मिलेगा रोज सात सौ लीटर पानी
पास खड़ी एक बच्ची ,सोच रही थी ,परेशानी से
ये झाड़ू का क्या सम्बन्ध है पानी से ?
उसने पास खड़ी अम्मा से पूछा ,
माँ ,ये सात सौ लीटर पानी कितना होता है
अम्मा बोली,ये जो तेरी दस लीटर की पीपी है ना,
ऐसी सत्तर पीपी के बराबर होता है
लड़की ने घबरा कर कहा 'हाय राम,
तो क्या हम दिन भर पानी ही भरेंगे ?
घर में तो चार ही बर्तन है,
इतना पानी कहाँ धरेंगे ?
और फिर इतने पानी का हम क्या करेंगे ?
कितने अफ़सोस की बात है  ,
लोग आज शुद्ध पानी के लिए तरसते है
पानी बरसे या न बरसे ,
पानी के नाम पर वोट बरसते है
हम नहीं मुहैया करवा पाये ,शुद्ध पानी भी,
जनता को ,आजादी के अड़सठ साल के भी बाद
क्या नहीं है ये हमारे लिए,
चुल्लू भर पानी में डूब जाने की बात?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
      कुछ  इंग्लिश -कुछ हिंदी

बन्दर जैसा उछला करता ,ऐसी हालत होती मन की
इसीलिये इंग्लिश भाषा में ,बन्दर को कहते है  मन्की
और उँगलियाँ तो औरत की ,होती है नाज़ुक और सुन्दर
तो फिर भिन्डी को इंग्लिश में ,क्यों कहते है 'लेडी फिंगर'
'बुल 'याने कि सांड होता है ,टकराते इंग्लिश के दो'बुल'
तो हिंदी में बन जाती है ,प्यारी और नाजुक सी 'बुलबुल'
होता है 'लव गेम'शून्य का,सदा खेल में बेडमिंटन के
पर हिंदी में 'खेल प्यार का',कितने फूल खिलाता मन के

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हम आपके है कौन

           हम आपके है कौन

सत्ता में तुम आये हो हमारे ही सहारे ,
                  बैसाखी तो हमारी है ,फिर भी हम  गौण  है
हम गिराया ऐसा नीचे आसमान से ,
                   किस्मत ना साथ,मन मसोस ,चुप है ,मौन है
जनता को बरगलाते कर बातें बड़ी बड़ी ,
                   और हमको रहते कोसते हो तुम घड़ी घड़ी ,
ये प्यार के इजहार का कैसा है तरीका ,
                   हमको बता दोये कि 'हम आपके  कौन है'?    

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आम आदमी

          आम आदमी

कानो पे है गुलबंद ,सर पे टोपी है सफ़ेद ,
                है सीधा,सादा और खरा ,आम आदमी
ना सरकारी बँगला है ना सरकारी कार है,
              ना है दिखावट उसमे जरा ,आम आदमी  
कहता है भ्रष्टाचार हम ,जड़ से मिटायेंगे ,
              विश्वास से है कितना भरा , आम आदमी
आया है बन के केहरी ,अरविन्द केजरी ,
              है शेर,किसी से न डरा ,आम आदमी

           
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

दो


         दो

मेरे साथी दो मिनिट रुको ,
                           दो ध्यान जरा अपने मन में
कितना महत्त्व वाला है यह ,
                            दो का अक्षर जन जीवन में
दो के दो मतलब होते है,
                           एक गिनती का,एक अक्षर का
दो दिन की दुनिया में आये ,
                           जीवन पाया है दो पल का
दो हाथ दिए,दो पैर दिए,
                            दो आँखें दी,दो कान दिए
दो दो के जोड़े से हमको ,
                           तुमने सबकुछ ,भगवान दिए
दो हाथों से ताली बजती ,
                            दो मिल कर दोस्त कहाते है
दो हाथ नमस्ते करते हैं,
                            बोझा   दो  हाथ    उठाते है
जब दो दो हाथ मिलाने को,
                            हम प्रेम प्रतीक मानते है   
तो दो दो हाथ दिखाने को,
                             झगड़े की लीक मानते है
हर एक काम में जरुरत है ,
                              दो हाथ काम में लाने की
दो हाथों के ही पौरुष ने , 
                              बदली रफ़्तार जमाने की
दो बाहों से बढ़ कर जग में ,
                              क्या कोई सहारा  होता है
दो होठों की लाली से बढ़ ,
                              क्या कोई नज़ारा होता है
  दो आँखें जब मिल जाती है,
                               जग खोयी खोयी कहता है
दो   मोती  ढलका  देती  है,
                                जग  रोई   रोई कहता है
दो आँखे जब लड़ जाती है ,
                                तो जग कहता है प्यार हुआ
दो आँखों के झुक जाने से ,
                                कितनो का ही उद्धार  हुआ
उनने जब दो आँखे बदली ,
                              तो ह्रदय हमारा टूट  गया
दो आँखें  बंद हुई समझो ,
                              दुनिया से रिश्ता छूट  गया    
अच्छे अच्छे नाचा करते,
                               आँखों के एक इशारे पर
सारी दुनिया मरती ,है दो,
                                नज़रों के एक नज़ारे पर
इंसान अकेला होता है  तो,
                                 उसे  अधूरा  कहते है
पति पत्नी मिल  दो बनते है,
                                   तो उसको पूरा कहते है
इंसान,जानवर,इन दो में ,
                                 केवल अंतर है बस दो का
चौपाया चार पाँव का है ,
                               इंसान मगर दो पांवों का
दो पैर सहारा जीवन के ,
                                पैरों बिन जीवन झूंठा है
तो पैरों ने ही थिरक थिरक ,
                                कितनो का ही तप लूटा है
 दो  सलाई बुनती  स्वेटर ,
                                 कैंची  काटे दो टांगों से
बन जाते मिस्टर मेडम की,
                                  दो मीठी मीठी  बातों से
बीबी में दो 'बी'होते है ,
                               पापा में दो 'पा'  होते है
जो हरदम 'हाँ' करते हैं उन,
                                नाना में दो 'ना' होते है
और गणित का एक नियम,
                                  दो रिण मिल कर धन होते है
दो चोटी,उसमे दो मोती ,
                                  क्या प्यारे फेशन होते है 
उनके दो पैरों की शोभा ,
                                 दो बद्दी वाली चप्पल  है
दो पहियों से  गाडी चलती ,
                                   दो से चलते स्कूटर है     
जब दो पट हट जाते है तो ,
                                    दरवाजा  खुल जाता है
नीचे दो,ऊपर एक हुआ ,
                                 वो पाजामा कहलाता है
दो मिले अगर नौ साल बाद,
                                 दो,नौ दो ग्यारह होते है
दिन दूनी करे तरक्की जो ,
                                   उसके पौबारह होते है
धोका देना,दो,खा लेना ,
                                दौलत ये दो लत देती है
दो मीठी बात बना लेना ,
                                इज्जत ये आदत देती है
फरवरी दूसरा महीना जो,
                                 सब से कम दिन वाला होता
तनख्वाह पूरी मिलती हर दिन,
                                  ज्यादा कीमत वाला होता
कोई कहता है चन्दा दो,
                                 कोई कहता है धंधा  दो
   बढ़ गया भाव है राशन का ,
                                  जनता कहती ,कर मंदा दो
ये कहते हमें प्रमोशन दो ,
                                    वो कहते है प्रोडक्शन दो
नेताजी आओ भाषण दो ,
                                  हमको झूंठे आश्वासन दो
तो दो का चक्कर ऐसा है
                                 जो सबके मन को भाता है
इसीलिये दो बच्चों का,
                                 परिवार सुखी कहलाता है  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 22 दिसंबर 2013

बाल

                बाल

हम जिनकी इज्जत करते है,माथे पर जिन्हे चढ़ाये है
पलकों के द्वार बिठाया है  ,जो रोम रोम में छायें है
पलटे साँसों के साये में ,चिपके रहते है गालों पर
सब नर नारी की शोभा जो ,है नाज़ हमें उन बालों पर
ये भले सुनहरी या काले,भूरे  घुंघराले होते है
रेशम से हों या बदली से ,पर सब मतवाले होते है
जब जुड़ा बन कर संवर गए ,तो गोरा आनन चमक उठा
जब बिखर गए तो बदली में ,जैसे चन्दा हो दमक उठा
जब बाल गुंथे चोंटी बनकर ,नागिन से आकर लटक गए 
बाला के बाल जाल में है ,कितने ही लोचन भटक गए
इन बालों की जंजीरों ने ,बाँधा कितने दिलवालों को
कितने शीरी फरहाद बने है बढ़ा बढ़ा कर बालों को
कितने ही दुःख की एक दवा ,होता है जुल्फों का साया
बालों में सिंदूरी रेखा, सॊभाग्य चिन्ह यह कहलाया
नारी में और पुरुष में भी,यह अंतर एक निराला है
है बाल विहीन गालवाली नारी,नर दाढ़ी वाला है
नारी बालों को बढ़ा रही,नर है बालों को कटा रहा
सर के ,गालों के झंझट को,कैंची ,रेज़र से हटा रहा
जिनके होते है बढे बाल ,वो बड़े मेहनती होते है
जिनके होते है झड़े बाल ,वो अक्सर रहते रोते है
है उड़े बाल तो अच्छा है ,खल्वाट क्वचित निर्धन होते
है बड़े बाल तो अच्छा है,सुन्दर सुन्दर फेशन होते
सर्दी की ऋतू में बड़े बाल ,मफलर का काम दिया करते
तकिया यदि  ना भी हो तो ,सोने में आराम दिया करते 
थोड़े से बाल बिखेरो तुम तो फिलासफर कहलाओगे
ठाड़े से बाल संवारो तो ,फ़िल्मी हीरो  बन जाओगे
थोड़े हो छोटे बाल अगर ,तो खुला  हुआ सर चमकेगा
चंदिया के बालों का उड़ना,तुमको अच्छी इज्जत देगा
बढ़ती ज्यों उमर ,बाल का भी ,त्यों त्यों होता उजला रंग है
कोई की उमर जानने का ,ये कितना अच्छा सा ढंग है
कुछ बातें घने राज वाली ,भी है ये खोल दिया करते
बिखरें हो सुबह,रात का सब,अफसाना बोल दिया करते
देरी से घर आने वाले ,पति के कपड़ों पर पड़े बाल
बतला देते है पत्नी को ,उसकी सांझों का हालचाल
इतिहास साक्षी है इसका ,बालों ने क्या क्या कर डाला
बिखरे जब बाल केकैयी के ,वनवास राम को दे डाला
बीज महाभारत का भी  इन बालों ने ही बोया था
दुशासन के खूं से द्रोपदी ने निज बालों को धोया था
गंगा ने भी आ शंकरजी के बालों में था वास किया
जब बिखर गए चाणक्य बाल ,तो नंदवंश का नाश किया
सेमसन की सारी ताकत थी,उसके बालों में छुपी हुई
हजरत के बाल आजतक भी,पूजे जाते है कहीं कहीं
 सन्यासी होता घुटा मुटा ,ऋषियो के बाल बढे रहते
बीटल के बाल लटकते है ,तो हिप्पी के बिखरे रहते
क्या एक बाल से होता है ,पर इनमे बड़ा संगठन है
ताकत का अरे एकता की ,कितना अच्छा उदाहरण है
 बालों का पर्दा आँखों पर ,ये पहरेदार आँख के है
जो सच्चे मित्र हुआ करते ,कहलाते बाल  नाक के है
नाई और ब्लेड उस्तरे वाले,बालों के बल  पलते  है
बालों से ही विग बनता है ,बालों से कपडे बनते है
सुनते है कुछ लोग बाल की खाल निकाला करते है
कुछ लोग बाल के पिंजरे में ,जूँवो को पाला  करते है
उड़ गए बाल मंहगाई में ,गंजे अच्छे अच्छे  होते
हम बाल बाल ही बचे नहीं तो कई बाल बच्चे होते
बालों में नाइट्रोजन है ,खेती की उपज बढ़ाने  को
ये कितना अच्छा साधन है,फॉरेन एक्सचेंज लाने को
है कितनी मांग विदेशों में,भारत के काले बालों की
हम यदि चाहें तो कर सकते ,आमदनी कई हज़ारों की
तो एक्सपोर्ट को क्यों न बाल का प्रोडक्शन चालू कर दें
अधिक बाल  उपजाओ वाला ,आंदोलन चालू कर दें

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

धरम की बात

           धरम की बात 
(एक नास्तिक प्रोफ़ेसर को उसकी
आस्तिक पत्नी का धर्मोपदेश)

सुनो श्रीमान जी ,       बात है ये ज्ञान की
भले करम कीजिये  ,  दान धरम कीजिये      

दान बड़ी चीज है ,       मुक्ति  का ये बीज है
लिखा है पुराण में ,      कलयुगी  जहान  में
मोक्ष प्राप्ति वास्ते ,      दान     धरम  रास्ते 
और एक आप हो ,       जो दान के खिलाफ हो
दान करूं  ,टोकते          मेरी राह रोकते
प्रोफ़ेसर साहब ओ !       तुम बड़े खराब हो
कुछ तो शरम कीजिये    दान धरम कीजिये

कितने हो कंजूस तुम      बड़े मक्खीचूस तुम
मोटी सी पगार है             बेंक में हज़ार   है
खर्च करते डरते पर           दान से मुकरते पर
मेरी कुछ न मानते           अपनी ही हो तानते
सूना सूना घर पड़ा             अखरता है मुझे बड़ा
हम अकेले जीव दो             रह सकेंगे अब न यों
मुझपे  रहम कीजिये        दान धरम  कीजिये

अब तलाक बहुत सहा        कितनी बार है कहा
गंगा स्नान कीजिये           पुण्य दान   कीजिये
विश्वनाथ ही चलें                साथ साथ ही चलें
तुमने पर मना किया          बहाना  बना दिया 
मीटिंग में जाना है              लेक्चर  बनाना है
मीटिंग और लेक्चर            बीत जायेगी  उमर
इनको तो कम कीजिये        दान धरम  कीजिये

मेरी बात मानिये                खरी खरी जानिये
पैसा कुछ न जाएगा            चोखा रंग आयेगा
एक बात है पिया                 जांचते हो कापियां
करते लड़के फ़ैल हो             जैसे कोई खेल हो
तो एक काम कीजिये            मार्क्स  दान दीजिये
एक भी न काटिये                 खुल्ले हाथ बांटिये
परीक्षा में गर नहीं                  तो सेशनल में ही सही
फ़ैल ख़तम कीजिये               दान   धरम  कीजिये

आरजू हुजूर से              छात्र आते दूर से
उनको पास कीजिये        मत निराश कीजिये
दिल किसी का ना दुखे        ये ही बड़ा धर्म है
सबकी दुआ लीजिये         छह के साठ  कीजिये   
अब के लूंगी देख भी          किया जो फ़ैल एक भी
ये बात है खरी डीयर          मै जाउंगी  चली पीहर
दिल को नरम  कीजिए       दान धरम   कीजिये

आम आदमी -ख़ास आदमी

      आम आदमी -ख़ास आदमी

इस बार ,देश की राजनीति में ,
एक क्रांतिकारी इत्तेफाक  हो गया
एक आम आदमी ,अचानक ख़ास हो गया
उसकी सादगी और इरादों ने ,
त्रस्त और दुखी जनता  के मन में आस जगा दी
कि चुनाव में,ख़ास आदमी को ,जनता ने धूल चटा दी
पर बदकिस्मती से ,वो इतना भी ख़ास न हुआ ,
कि अपने खुद के बूते,सत्ता की कुर्सी पर चढ़े
तो वो ख़ास आदमी,जो थोड़े ही ख़ास रह गए थे ,
उसकी तरफ सहयोग देने को बढे
यही सोच कर कि आम आदमी अनुभवहीन है,
वादे पूरे  नहीं कर पायेगा
और शीध्र ही 'एक्सपोज 'हो जाएगा
आम आदमी इनके इरादों को अच्छी तरह समझता था
इसलिये फूंक फूंक कर कदम रखता था
वो अच्छी तरह जानता था ये बात
इनका कोई भरोसा नहीं,कब खींच ले हाथ
पर इस चक्कर में ,अच्छा खासा बवाल होगया
अब क्या होगा ,सब के मन में ये सवाल हो गया
लोग कहने लगे ,आम आदमी ये क्या कर रहा है
जिम्मेदारी से डर रहा है  ,वादों से मुकर रहा है
आम आदमी को राजनीति करना नहीं आता है
इसलिए सत्ता में आने से घबराता है
पर एक दिन ,जनता की राय लेकर ,
आम आदमी बैठ गया कुर्सी पर
और वो जैसे अपना घर चलाता था ,
उसी किफायत और अनुशासन से ,
सरकार चलाने लगा   
उसका ये तरीका ,लोगों को पसंद आने लगा
और उसकी सरकार जब ठीक से चलने लगी
पुराने ख़ास लोगों को ये बात खलने लगी
सोचा कि लोगों को अगर,
 सुशासन की आदत पड़ जायेगी
तो हमारी तो लुटिया ही डूब जायेगी
और एक दिन बौखला कर ख़ास आदमियों ने ,
सरकार से अपना सहयोग हटा लिया
और आम आदमी को सत्ता से गिरा दिया
और इससे जनता के आगे ,
ख़ास आदमियों की पोल खुल गयी
और अगले आम  चुनाव में ,सरकार ही बदल गयी

मदन मोहन बाहेती  'घोटू'

शनिवार, 21 दिसंबर 2013

कैंची

          कैंची

बहुत दिनों के बाद ,मूड लिखने का आया
चलो  बतादूँ सबको दो टांगों  की     माया
टांगें दोनों तेज मगर वो कतराती है
बिना हाथ का साथ लिए ना चल पाती है
इससे ये न समझ लेना वो चौपाया है
नहीं खुदा ने रचा,हमी ने बनवाया है
उंगली और अंगूठे की शौक़ीन बहुत है
सुन्दर है,कुछ मोटी है कुछ क्षीण बहुत है
लेकिन ये है जब भी साथ हाथ का पाया
तब दोनों मिल गयी ,बीच में जो भी आया
कट जाता है बेचारा ,बिन खेंचा खेंची
हाँ जनाब हैम सब उसको कहते है कैंची
यह दो टांगों का कातिल ,कितना उपयोगी
इससे अच्छी ,शायद कोई चीज न होगी
इसने चल कर ,मानव जीवन ,बहुत संवारा  
ये जब चलती है ,कितनो को मिले सहारा
खुद चल कर ,कितनो का ही है काम चलाती
अरे  कई  कामो  में है       यह कैंची आती
दरजी की दूकान चल रही कैची के बल
नाई का सब काम चलाती ,कैंची केवल
हम सब यूं जो चलते फिरते ,बने ठने है
 आदिम युग ,हमें यहाँ लाया किसने है
किस से हमने आज सभ्यता ,ये जानी है
मित्रों ये सब कैंची की मेहरबानी है
हमको 'अप टु डेट' बनाया  है कैंची ने
सचमुच इतना ग्रेट बनाया है कैची ने
आती काम ऑपरेशन के ,अस्पताल में
कितने बीमारों को लाती ठीक हाल में
परिवार नियोजन में ये बड़ी सहायक है
मैं कहता ,यह राष्ट्र चिन्ह के लायक है
बढे हुए नाखून,काट लो , तुम कैंची से
मूंछों के भी बाल ,छाँटलो ,तुम कैची से
कैंची वाला दांव ,जिताता पहलवान को
कैंची चला रही है कपडे की दूकान को
पनवाड़ी के सड़े पान ,सब छांटे कैंची
बागीचे कि बढ़ी पत्तियां,छांटे कैंची
कागज़ काटो,फूल पत्तियां खूब बनाओ
नाड़ा नहीं खुल रहा ,काटो,कैंची लाओ
कैंची हाथों में हो,बंधन हट जाता है
लोहे की कैंची से लोहा कट जाता है
उदघाटन करने वाला औजार यही है
जेब काटने वालों का हथियार यही है
भली भलों के  ,बुरों के लिए बुरी है
अच्छी है तो जीवन दाता ,बुरी छुरी  है
बड़े बड़ों का बिगड़ा हाल बना देती है
ये साड़ी तक को रूमाल बना देती है
कवि लेखक या आलोचक यदि जो बनना हो
मेरी मानो बात दोस्तों ,कैंची लाओ
कटिंग इधर से ,थोड़ी कटिंग उधर से काटो
चिपका कागज़ पर ,अपने नामो छपवा दो
बन बैठे है ,कितने ही लेखक कैंची से
बनी साधना ,काट 'साधना कट 'कैंची से
कैंची केश सँवारे ,फेशन की ये जननी
ब्लाउज बाहें,'लोअर नेक 'इसी ने करनी
सबसे बड़ा पाठ ये सिखलाती है कैंची
नहीं अकेला ,कोई कर सकता है कुछ भी
एक एक मिल ,यदि उलटे भी चल जाते है
तो दुनिया के कितने झंझट  कट जाते है
ये गुण दो टांगों की कैची में पाओगे
एक टांग की कैंची देखो,चकराओगे
क्योंकि नहीं है केवल इसका काम काटना
बल्कि बना कर,तरह तरह की बात ,बांटना
है इतनी उस्ताद,दिमाग चाट लेती है
बड़े बड़ों के भी ये कान काट लेती   है
ये जब चलती ,कोई नहीं रोक पाता  है
और रोकने वाला कट कर रह जाता है
हाथ ,पाँव या बिन बिजली के चलनेवाली
एक टांग की कैंची है ये बड़ी निराली
नारी इसे चलाने में ,पूरी माहिर है
जी हाँ ,यह कैची जुबान है,जग जाहिर है
कैंची सी जुबान चलती है,सब डरते है
लेकिन फिर भी प्यार उसी से सब करते है
कैंची बड़ी महान,चीज बेकार नहीं है
कैंची अगर नहीं ,कुछ भी संसार नहीं है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

दर्द - दिल्ली का

           दर्द - दिल्ली  का

शादी हम पांच बहनो की थी  हुई एक साथ
उनमे से चार ने तो मना  ली  सुहागरात
मैं  सबसे छोटी ,दुलारी ,प्यारी और हसीं
दुल्हे का मेरे अभी तक कोई पता  नहीं
बाकी सभी के दुल्हे तो थे खूब अनुभवी
मेरा था नौसिखिया ,कंवारा,ये कमी रही
सोचा  था नव जवान है और जोश से भरा
कर देगा मेरी गोद  को जल्दी हरा भरा
पर वो तो मेरे पास ही आने में सहमता
लोगों  से फिर से पूछ के आउंगा,ये कहता  ,
अब मेरे मन में होने लगा दर्द है यही  
क्या मेरा ये दूल्हा कहीं   नामर्द तो नहीं
दुल्हन बनी दिल्ली के कहा ,भर के ठंडी आह
लगता है अब तो करना पडेगा पुनर्विवाह

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

काला- गोरा

           काला- गोरा

काली आँखे मुख की शोभा बढ़ा रही है ,
                          काले केश हमेशा मस्तक पर रहते है
काला ही तो गोर की शोभा होता है ,
                           काले रंग को लोग बुरा फिर क्यों कहते है
गोरा रंग कहाँ रहता है,पगथलियों में,
                            नग्न बिचरता है गलियों में आवारा
या फिर छुपा हुआ रहता जूते के अंदर,
                             सूरत दिखलाने में डरता  बेचारा
नारी तक भी नहीं चाहती गोरा रंग ,
                               गोरे  हाथों को मेंहदी से रंग लेती है
गोरे  मस्तक से उसको कोई लगाव नहीं ,
                                 इसीलिये माथे पर बिंदिया देती है
बुरी चीज को सभी छुपाया करते है,
                                  इसीलिये गौरी मुख घूंघट होता है
गोरा गात भले हो रोम रोम में पर,
                                   काले काले रूऑ  का जमघट होता है
 गोरे  सूरज की प्रखर तेज किरणो से तो,
                                   काला दाग लिए चन्दा ही शीतल है
काले बादल ही तो सुख बरसाते है,
                                   शोभा आँखों की होता काला काजल है
गोरा रंग भी क्या कोई रंग में रंग है ,
                                    जिसका अपने खुद पर कुछ अधिकार नहीं
भरतपुरी लोटे सा बिन पेंदे वाला,
                                     जिस रंग में चाहो रंगलो ,इंकार     नहीं
युगों युगों से काला रंग स्वाभिमानी ,
                                       खुद को बहकावे में ना आने देता है
अपने सिद्धांतों पर अटल सदा रहता ,
                                       और रंगों को निज रंग में रंग लेता है
काला रंग सदा गम्भीर हुआ करता ,
                                       टुच्चेपन की गोरा रंग निशानी है
गहरा पानी काला रहता ,गम्भीर सदा ,
                                        जो उजला रहता वो छिछला पानी है
कृष्ण कन्हैया का वो काला रंग ही था,
                                        कई गोपियाँ जिसके हित दीवानी थी
गोरे रंग की करतूत शहीदों से पूछो,
                                         अंग्रेजों से क्यों लड़ी लक्ष्मी रानी थी
गोरा रंग जुल्मी बेरहम हुआ करता,
                                         गोरी तलवार हमेशा खून बहाती है    
काला रंग शांति का द्योतक होता है ,
                                          काली म्यान मिली ठंडी हो जाती है
जो हरदम सुखदुख में साथ रहा करता ,
                                          वो अपना साया भी काला होता है
काला तिल 'ब्यूटी स्पॉट 'कहाता है,
                                         तिल से चेहरा कितना मतवाला होता है
काला रंग प्रतीक जवानी यौवन का,
                                          काले केश ,जवां मस्तक पर छाते है
काले का महत्त्व उनसे पूछो जो निज ,
                                           उजले बालों पर रोज खिजाब लगाते है 
पुरुषों के गोर मुख पर काली दाढ़ी है,
                                           दांतों पर काली मूंछों का साया है
काली कोयल ही  मीठे गाने गाती है ,
                                           काली जुल्फों ने किसको नहीं लुभाया है
काला धुंवा हरदम ऊंचा उठता है ,
                                         साधी सादी होती काली घरवाली  है
इसिलिये मै काले के गुण गाता हूँ,
                                            मैं काला हूँ,मेरी  बीबी  काली है                  

ये आदत निगोड़ी नहीं जाती

         ये आदत निगोड़ी नहीं जाती

प्रीत तो दो दिलों का बंधन है ,
हर किसी से ये जोड़ी नहीं जाती
 जुड़ी तो,रिश्ता जन्मजन्म का है,
कच्चे धागे सी  ,तोड़ी नहीं जाती 
कोई कोशिश  लाखों ही करले,
राह किस्मत की मोड़ी नहीं जाती
कशिश कुछ न कुछ तो है समंदर में,
वर्ना नदियां वहाँ दौड़ी नहीं जाती
जब तलक बहुत ना हो मजबूरी ,
बच्चों की गुल्लक,फोड़ी नहीं जाती
जबसे बहुत गुस्ताख हुई है सर्दी ,
रजाई है कि ये  छोड़ी नहीं जाती
दूसरों की जिंदगी में दखल देने की,
हमारी ये आदत ,निगोड़ी नहीं जाती
'घोटू'तो जिंदादिल है ,जीता मौजमस्ती में,
ऐसी लत पड़  गयी,छोड़ी नहीं जाती  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

'आप'ने

                 'आप'ने

 

दर्देदिल,दर्दे जिगर ,दिल में जगाया आप ने

हम कहीं के ना रहे ,ऐसा   हराया   आप ने

खुद तो अट्ठाइस सीटें ,जीत कर गर्वित हुए ,

और हमको , आठ सीटों ,पर जिताया आपने

हमने  सोचा ,मिले हम तुम,और ये घर बसायें,

पर न गुण मिलते हमारे ,ये बताया  आप ने

आठ अट्ठाइस मिले,छत्तीस गुण सब मिल गए ,

फिर भी शादी करने का ना मन बनाया ,आप ने

हम तो 'लिविंग इन रिलेशनशिप'को भी तैयार थे,

मांग अट्ठारह वचन , चक्कर चलाया  आप ने

आपकी वो सारी शर्तें,हमने  झट से मान ली,

लोगों से पूछेंगे कह ,पीछा छुड़ाया    आप  ने

आप की मर्दानगी पे जनता शक करने लगी ,

छह माह में बच्चे देंगे  ,बरगलाया  आप ने

अपनी जिम्मेदारियों से ,ऐसे पल्ला झाड़ कर,

पात्र खुद को ही हंसी का,है बनाया  आप ने

 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

दाढ़ी


              दाढ़ी
दाढ़ी इतनी बढ़ी,ढेर से बाल आ गये  
चिकने चिकने गालों पर जंजाल छा गये
सोलह वर्षों तक हमने सींचा था ऑइल
तब कहीं बनी है ,गाल भूमि यह फर्टाइल
रोज काटता ,फसल रोज  बढ़ जाती है
व्यर्थ फेंकता ,काम नहीं कुछ आती  है
डेली नयी फसल को मैं करता  काटा
फिर भी तो इस धंधे में पड़ता  घाटा
ना काटूं ,क्या करू,व्यर्थ की आफत है
और बिना काटे आ जाती शामत है
कहती बीबी है नाज़ जिसे निज बालों पर
'ये झाड़ फूंस क्यों बढ़ा रखे है गालों पर
पैसा कितना दाढ़ी बढ़ा बचा लोगे
क्या कोई नयी चिड़िया तुम इसमें पालोगे'?
कोई कहता मैं बेकारी का मारा हूँ
तो कोई बतलाता मैं आवारा  हूँ
कोई कहता कैसा फेशन का भूत चढ़ा
नहीं कटाता ,दाढ़ी इसने  रखी   बढ़ा
तो फिर कोई कहता है बीमार मुझे
जाने क्या क्या कहता है संसार मुझे
घरवाले भी क्या क्या सोचा करते है
बच्चे गोदी चढ़ ,दाढ़ी नोचा करते  है
देख बढ़ी दाढ़ी नाई भी जलता है
बिन मुंड़वाये ,काम नहीं  कुछ चलता है
एक दिवस की बीबीजी से यह चर्चा
सहा न जाता साठ रूपये मासिक खर्चा  
जितने रूपये बलिदान किये इस दाढ़ी पर
यदि खर्च किये होते बीबी की साड़ी पर
दो चार दर्जन साडी अब तक ले ही आते
सुनते पत्नी की प्रेम भरी मीठी बातें
हालांकि बात यह थी बीबीजी के मन की
फिर भी हो नाराज़ वो हम पर थी तुनकी  
क्योंकि बीबीजी है राष्ट्रीय विचारों की
सुलझाती रहे समस्या वह बेकारों की
बोली कितने परिवार कि इस पर जीते है
सभी नाई इसके बल खाते पीते है
उस्तरे साबुन वाले इसकी खाते है
ब्लेड वाले इससे ही अरे कमाते है
दाढी ने कम करी बहुत बेकारी है
देशोन्नती में सहयोग कि इसका भारी है
'काश अगर औरत के दाढ़ी आ जाती
तो समझो बेकारी सारी मिट जाती
हो जाती खर्च मुंडाई में आधी कमाई
जितने है बेकार सभी बन जाते नाई
सर पर तो है,जब गालों पर दाढ़ी बढ़ती
दो चोंटी फिर आगे भी गुंथवानी पड़ती
गोरे  गालों पर हरी झांई छा जाती फिर
चार चोटियों की नारी हो जाती फिर
और समस्या फिर यह अति ही टेढ़ी होती
क्या लेडी के लिए नाई भी लेडी  होती
सिर्फ पुरुष को दी दाढ़ी की आफत है
क्या भगवान तुम्हारी यही शराफत है ?




















मेचिंग का मेच

            मेचिंग का मेच   
                       १
शादी को अपने हुए ,अब पूरे दस साल
बोलो क्या प्रेजेंट तुम ,दोगे  अबकी बार
दोगे  अबकी बार ,कहा जब पत्नी  जी ने
हम बोले, लो प्यार ,आये जितना भी जी में
'प्यार,प्यार तो अजी आपका मिलता अक्सर
अबकी बार  चाहिए हमको साडी  सुन्दर
                        २
साडी  लेने  हम गए ,पत्नी   जी के संग
भड़कीला सा प्रिंट हो, चटकीला सा रंग
चटकीला सा रंग ,दुकाने काफी छानी
दो हज़ार में  साड़ी ,सुन्दर मिली सुहानी
'घोटू'एक सूती  साड़ी भी मन को भायी
लेने एक गए थे ,पर दो  साड़ी आयी
                       ३
अब हमको दिलवाइए ,मांग हुई तत्काल
मेचिंग ब्लाउज पीस और मेचिंग साड़ी फाल
मेचिंग साड़ी फाल ,और कुछ नोट चाहिए
सिलसिलाया मेचिंग पेटीकोट  चाहिए
कह घोटू कविराय आयी फिर मांग निगोड़ी
दिलवा दो ना ,एक मेचिंग चप्पल की जोड़ी
                       ४
पत्नी जी कहने लगी ,होकर ज़रा उदास
मेचिंग रंग की चूड़ियाँ ,नहीं हमारे पास
नहीं हमारे पास ,चाहिए बिंदिया मेचिंग
मिलता जुलता हो लोकिट ,साड़ी पिन ,इयरिंग
हमको मेचिंग एक पर्स सुन्दर ला दो ना 
सर्दी है,मेचिंग कार्डिगन  दिलवा दो ना
                         ५
देखो अब पूरी हुई ,मेरी मेचिंग ड्रेस
कमी सिर्फ बस चाहिए ,मेचिंग वाच स्ट्रेप
मेचिंग वाच स्ट्रेप ,तभी निकलूं बन ठन के
लगा लिपस्टिक,नेलपॉलिश मेचिंग फेशन के
कह घोटू कवि  मेच चला मेचिंग का ऐसा
खर्च हो गया ,साड़ी से भी दूना पैसा 

मजबूरी

        मजबूरी
             १
पत्नी से कहने लगे ,भोलू पति कर जोड़
आप हमी को डांटती ,है क्यों सबको छोड़
है क्यों सबको छोड़ ,पलट कर बीबी बोली
मैं क्या  करू, तेज  तीखी  है  मेरी  बोली
नौकर चाकर वाले घर में बड़ी हुई हूँ
बड़े नाज़ और नखरों से मैं  पली हुई हूँ
              २
पत्नीजी कहने लगी ,जाकर पति के पास
बतलाओ फिर निकालूँ ,मन की कहाँ भड़ास
मन की कहाँ  भड़ास ,अगर डाँटू नौकर को  
दो घंटे में छोड़ ,भाग जाएगा घर को
सुनूं एक की चार ,ननद  से जो कुछ बोलूं
तुम्ही बताओ ,बैठे ठाले ,झगड़ा क्यों लूं
              ३
सास ससुर है सयाने ,करते मुझको प्यार
उनसे मैं तीखा नहीं ,कर सकती व्यवहार
कर सकती व्यवहार ,मम्मी बच्चों की होकर
अपने नन्हे मासूमो को,डांटूं क्यों कर
एक तुम्ही तो बचते हो जो,सहते सबको
तुम्ही बताओ ,तुम्हे छोड़ कर डाटूं  किसको?

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

भाग्य भरोसे मत बैठा रह

        भाग्य भरोसे मत बैठा रह

 तू ये मत कर,तू वो मत कर
कुछ करने की जहमत मत कर
 ऊपर वाले से डर  थोड़ा ,
कर यकीन उसकी रहमत पर
तुझे मिल रहा ,फल कर्मो का ,
क्यों रोता ,अपनी किस्मत पर
तेरी मंजिल ,तुझे मिलेगी,
कर प्रयास,थोड़ी हिम्मत कर
भाग्य भरोसे बैठा मत रह,
आवश्यक है,तू मेहनत  कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

बीबीजी की दुनिया की सैर

    बीबीजी की दुनिया की सैर

किया था मैंने ये वादा ,तुम्हे  दुनिया  दिखाऊंगा
मगर अब तुमसे कहने में ,ज़रा ना हिचकिचाऊंगा
सिमट कर रह गयी दुनिया ,मेरी तुम्हारी बाँहों में,
दिखाती तुम मुझे दुनिया ,मै  तुमको क्या घुमाऊंगा

घोटू

चुनाव में हार के फल

          चुनाव में हार के फल

'आम' ने ऐसा निचोड़ा 'आम' सा,
                    अब तो हम बस गुठली बन कर रह गए
'संतरे'का सूख सारा रस गया ,
                        थे तने 'केले',अकेले रह गए
बेबसी ने हाल ऐसा कर दिया ,
                         बहलाते मन बेटी से 'अंगूर'की ,
'चीकू'चाहा था मगर आलू मिला ,
                          दिल के अरमाँ  आंसूओ में बह गए

घोटू

सोमवार, 16 दिसंबर 2013

फ्लेट संस्कृती

           फ्लेट संस्कृती

कोई को किसी की नहीं परवाह यहाँ पर ,
वो खुश हैं अपने फ्लेट में ,तुम अपने फ्लेट  में
होती है 'हाई 'हल्लो'जब मिल जाते लिफ्ट में ,
पर दोस्ती होती नहीं ,पल भर की भेट में
कल्चर गया ,गली का,मोहल्ले ,पड़ोस का,
रहते है व्यस्त टी वी में और इंटरनेट  में
सब अपनी अपनी खा रहे,मस्ती में जी रहे ,
किसको पडी है झाँके जो,औरों की प्लेट में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सर्दी में -सवेरे सवेरे

 सर्दी में -सवेरे सवेरे

कहा बीबी ने ये डीयर ,
बड़ी ही सर्दी है बाहर ,
रहो दुबके यूं ही अंदर ,रजाई ये सुहाती है
ये मौसम सर्द है आया
बड़ा कोहरा ,घना छाया
कि बाहर  देखो बर्फानी ,हवायें सनसनाती है
कहा मन ने यूं भर आलस
आज सोये रहो तुम बस
नहीं उठने का जी करता ,आँख भी खुल न पाती है
भले मन कितना ही चाहे ,
मगर हम रुक नहीं पाये
भली सेहत की चाहत ही,सवेरे नित  जगाती  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोंग्रेस -कथा

    कोंग्रेस  -कथा

पहले थी 'जोड़ी बैल की'फिर ' गाय और बछड़ा',
फिर 'हाथ',बदले रंग कितने कांग्रेस  ने
नाना से नातियों के युग में आते आते ही ,
थी जो रईस ,अब है भिखारी के भेस में
आयी अर्श से फर्श तक ,इस अंतराल में,
बेडा किया है गर्क,मचा लूट देश में
खा खा के मोटी हो गयी है दौड़ ना पाती ,
कितने ही दल निकल गए है आगे रेस में

घोटू

शादी -दो प्रतिक्रियायें

       शादी -दो प्रतिक्रियायें

                     १
था पाला पोसा प्यार से और बेटे को बड़ा किया
की शादी उसकी ,बहू लाये,उसका घर बसा दिया
अपना घर उजाड़ने की ये तो शुरुवात थी ,
चार दिन की इस खुशी में ,हमने या भुला दिया
                    २
वो कल तलक थी जो बहू ,अब सास बन बदल गयी
 ये खेल चूहे बिल्ली का है, जिंदगी  निकल  गयी
ये सास क्या ये बहू क्या ,है सिर्फ इतना फर्क कि,
जमाये रौब ,सास वो,और वो बहू ,जो डर गयी

घोटू

रविवार, 15 दिसंबर 2013

URGENT REQUEST

Dear Friend,
I got your contact from a business directory and I decided to contact you for a business proposal
with my company.
My company (Lasol Pharmaceutical Company.) is into manufacturing of pharmaceutical materials. There are
some pharmaceutical raw materials which colleague usually purchase on behalf of my company from India for
the past 3yrs.
Presently he died of cancer since he pass away,The director of my company has asked me for the contact of the supplier in India, which i am not yet giving to him.
I need a reliable businessman whom I will present to the company as the supplier in India to enable the management contact him to confirm availability of the
materials and issue him an Official Purchase Order to source the materials for my company in India.
The business is risk free and the profit margin is very high, we will share the profit between us in any successful transaction.
If you have the capacity and interest to handle the business, kindly contact me for more details.contact@lasolpharma.com

Thanks & Regards,
Dr.Peter Wirtz

आप का कनफफ्यूजन

   आप का कनफफ्यूजन

किसी भूखे के आगे जो ,तुम छप्पन भोग गर रखदो ,
देख कर इतनी मिठाई ,बड़ा पगला वो है जाता
मै ये खाऊं या वो खाऊं ,उसे होजाता कन्फ्यूजन ,
इसी चक्कर में बेचारा ,नहीं कुछ भी है खा पाता
किसी मुफलिस की कोई दिन ,अगर जो लॉटरी खुलती,
करे क्या इतनी दौलत का ,समझ में है नहीं आता
यही है हाल अरविंद का,आप पार्टी का बहुमत है,
दे रही साथ कोंग्रेस पर ,राज करने में घबराता

घोटू

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

बेचारा आदमी

         बेचारा आदमी

कितना भला ,मासूम सा है प्यारा आदमी
कहता है कौन ,होता है बेचारा    आदमी
उसको दुधारू जीव समझ बड़े प्यार से ,
डाले है बीबी ,और  खाता ,चारा आदमी
उसकी कदर होती है घर में सिर्फ इसलिए ,
पैसा कमाके लाता ,ढेर सारा  आदमी
करती है ऐश बीबियाँ ,और काम में जुटा ,
बन कोल्हू  बैल,घूमता ,दिन सारा आदमी
ऐसा क्या लॉलीपॉप चुसाती है बीबियाँ ,
लालच में जिसके फिरता मारा मारा आदमी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

लेट लतीफ़

        लेट लतीफ़

बचपन के कच्चे दांत तो होते है दूध के ,
                    जो बाद में आते है वो टिकाते बहुत है
आते उभार कुछ है जब आती है जवानी ,
                     सीने पे सज के सब पे सितम ढाते बहुत है
कुछ लोगों की आदत है कि वो देर से आते ,
                      सबको ही इन्तजार वो कराते  बहुत है
खाने में सबके बाद में आती है'स्वीट डिश',
                       मीठे के प्रेमी 'घोटू'है,वो खाते बहुत है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

जोरू का गुलाम

   जोरू का गुलाम

लक्ष्मीपति है विष्णु और शंकर उमापति ,
और गणपति को पहले ,प्रणाम किया जाता
है राष्ट्रपति ,राष्ट्र का ,सर्वोच्च नागरिक ,
और सभापति को बहुत सन्मान दिया जाता
पूंजीपति है वो कि जो है पूंजी का मालिक ,
उद्योग पति वो है कि  जो उद्योग चलाता  
तो फिर विपत्ति रहती है क्यों सिर्फ पति पर ,
उसको ही क्यों है 'जोरू का गुलाम'कहा जाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बीबीजी या सुप्रीम कोर्ट

       बीबीजी या सुप्रीम कोर्ट

गरदन झुका पेश आते है हम उनके सामने,
              कहते है 'माय लार्ड 'हरेक बात के पहले 
जजमेन्ट जो वे करते है ,होता है फ़ाइनल ,
           अपनी मज़ाल क्या जो उनसे ,कुछ कभी ,कह लें
गाउन पहन के जाते है हम उनके 'कोर्ट'में,
                           थोड़े से सहमे सहमे से ,थोड़े डरे डरे 
हम अपना पक्ष रखते है ,ये उनके हाथ है,
                         तारीख बढ़ा दे या फिर वो 'कोर्टशिप' करे
हम बार बार जाते पर मिलती न हरेक बार ,
                           मदिरा की है धारायें बहुत ,उनके 'बार 'में
बीबीजी नहीं वो तो बस 'सुप्रीम कोर्ट'है,
                           बन कर वकील रह गए ,हम उनके प्यार में

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

हिम्मते मर्दा

       हिम्मते मर्दा

हमने दुनिया की लड़ाई ,खुद ही लड़ली , देखलो
तरक्की की सभी सीढ़ी ,खुद ही चढ़ ली ,देख लो
कहते है कि हिम्मते मर्दा है तो मददे खुदा ,
हमने मेहनत करके किस्मत ,खुद ही गढ़ ली ,देखलो 
घोटू

झगड़ा

               झगड़ा

आजकल खटास इतनी आ गयी ,
                       हमारे और बीबीजी के मेल में
लाख उनको मनाओ ना मानती ,
                       टाल देती ,बातें सारी ,खेल में
बड़ी मुश्किल ,गृहस्थी की पढाई,
                        ऐसा लगता हो गया हूँ फ़ैल मैं
उनने मीठी पूरी हमको खिलाई,
                       मगर वो भी तल के कड़वे तैल में

घोटू 

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