लेट लतीफ़
बचपन के कच्चे दांत तो होते है दूध के ,
जो बाद में आते है वो टिकाते बहुत है
आते उभार कुछ है जब आती है जवानी ,
सीने पे सज के सब पे सितम ढाते बहुत है
कुछ लोगों की आदत है कि वो देर से आते ,
सबको ही इन्तजार वो कराते बहुत है
खाने में सबके बाद में आती है'स्वीट डिश',
मीठे के प्रेमी 'घोटू'है,वो खाते बहुत है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बचपन के कच्चे दांत तो होते है दूध के ,
जो बाद में आते है वो टिकाते बहुत है
आते उभार कुछ है जब आती है जवानी ,
सीने पे सज के सब पे सितम ढाते बहुत है
कुछ लोगों की आदत है कि वो देर से आते ,
सबको ही इन्तजार वो कराते बहुत है
खाने में सबके बाद में आती है'स्वीट डिश',
मीठे के प्रेमी 'घोटू'है,वो खाते बहुत है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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